कूटनीति के अन्त महायुद्धों से होता है

राजनीति अक्सर करके मानसिक लुकाछिपी, ताश का खेल, या चोर पुलिस की शक्ल ले लेती है। और तब इसे कूटनीति बुलाया जाता है। 

 कूटनीति में व्यक्ति या समूह, एक-दूसरे के दिमाग़ को पूर्व से ही पढ़ कर उसे मात देने की कोशिश में लग जाते हैं। बिना कुछ किये और करे ही दूसरा व्यक्ति पूर्वानुमान लगा लेता है कि सामने वाले का क्या अगला move होगा, और उसका कटाक्ष करने लगता है। 
 और दूसरा वाला भी ये सोचने लगता है कि सामने वाला उसके बारे में क्या पूर्वानुमान कर रहा होगा, और ऐसे में कैसे, क्या करके उसे अचंभित करा जा सकता है। 

 ये mind games ही कूटनीति कहलाता है। 

 Mind games वाली कूटनीति राज्य को चलाने की न्याय नीति से बहोत दूर भटकी हुई होती है। इसका मकसद केवल सत्ता शक्ति प्राप्त करना होता है, ताकि उसका स्वार्थी उपभोग किया जा सके। इसमें विजयी निकृष्ट मानसिकता ही होती है, चाहे जो भी पक्ष जीते। क्योंकि दोनों ही पक्ष एक से बढ़ कर एक निकृष्टता करते हैं mind games के दौरान ।

आम आदमी,जो तटस्थ रहना चाहता है, राजनीति और कूटनीति से विमुख बना रहता है, उसका तो बेमतलब शिकार हो जाना तय शुदा हो जाता है। 

कूटनीति के अन्त महायुद्धों से होता है, महाविनाश से। दर्दनाक प्रलय से।

Comments

Popular posts from this blog

The Orals

About the psychological, cutural and the technological impacts of the music songs

आधुनिक Competetive Examination System की दुविधा