सुंदरता क्या होती है — एक विचार- लेख

जाने–अनजाने में हम सभी व्यक्ति किसी भी चीज के प्रति आकर्षित होते हैं केवल कुछ भौतकी सौंदर्य की वजहों से। 

Philosophers में सौंदर्य को समझने का सवाल हमेशा से चलता आया है। वो क्या है जो कि किसी व्यक्ति को किसी अन्य व्यक्ति या वस्तु की ओर आकर्षित करती है? इस गुत्थी को समझने और व्याख्यान देने के लिए दार्शनिक जन कई युगों से प्रयत्नशील रहें हैं। 

बाल्यावस्था में हमें कोई भी वस्तु आकर्षित करती है अपने शारीरिक रूप, रंग और स्वाद के माध्यम से। बच्चों में पसंद करी जाने वाली Gems नामक toffee सबसे आसान उदाहरण है। छोटी छोटी गोलियां केवल अपनी ऊपरी रंग में एक दूसरे से अलग होती हैं, जबकि इस ऊपरी रंग वाली त्वचा के भीतर सभी गोलियों में एक ही पदार्थ होता है, जो कि मात्र कुछ ही second कि चूसने के बाद बाहर निकल आता है। मगर फिर भी आप छोटे बच्चों को आपस में अलग अलग रंग की gems की गोली को पसंद करके उनको वितरित करते हुए आपसी संघर्ष करते देख सकते हैं। 

ये है aesthetic सौंदर्य का उदाहरण। और ज्यादातर अवसरों पर सौंदर्य की यही बाल्यकाल समझ हम में युवावस्था में भी ऐसी ही त्वरित हो जाती है। बाली अवस्था में जवां लड़के लड़कियां एक दूसरे की तरफ यौन आकर्षण भी अक्सर करके मात्र शारीरिक रूप या "हुस्न" देख कर हो जाते हैं। 

और फिर मध्यअवस्था के आते–आते हम सभी को अपने जीवन निर्णयों , जैसे कि– शारीरिक आकर्षण के आधार पर किए गए जीवनसाथी के चुनाव की वजह से हुए खट्टे अनुभव– से यह अहसास होने लगता है कि सौंदर्य केवल शारीरिक या aesthetic नही माना जाना चाहिए। हमें लगने लगता है कि सौंदर्य की विस्तृत समझ में चरित्र, व्यक्तित्व, वैभव, कीर्ति इत्यादि को भी शमाल्लित करना चाहिए। कई सारी स्त्रियां अक्सर अपने से कहीं बड़े व्यक्ति के प्रति आकर्षित हो जाने का, अकसर, यही वजह बताती हैं। पुरुष का वैभव और कीर्ति भी मध्यअवस्था वाली स्त्रीयों को उसकी और आकर्षित करने लगता है। 

बाल्यावस्था में स्वाद और शारीरिक कोमलता भी आकर्षण का एक भौतकी (यद्यपि छिछला) कारण होता है। Cake और buiscuits को पसंद किए जाने का बड़ा कारण यही होता है, जबकि प्रौढ़ अवस्था आते आते हमें यह अहसास आने लगता है कि ये सब स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ शरीर के लिए भीतर से कितना हानिकारक होता है। इडली कठोर न लगे दातों को, इसलिए उसमें eno या baking soda मिला कर कोमल बनाने की युक्ति करी जाती है। जबकि बाद की आयु में हमें पता चलता है कि कैसे baking soda शरीर को अंदर से क्षति कर जाता है। Coke और cigrettee के प्रति भी ऐसे अहसास आते हैं। 

आकर्षण का एक बड़ा कारण उपयोगिता या utility भी होता है। कपड़े खरीदते समय अकसर कम बजट वाले लोग utility और "देखने में सुंदर" को आधार मान कर चुनाव करते हैं। "देखने में सुंदर" से स्पष्ट अभिप्राय होता है fashionable (या समकालीन दिखने वाली वेशभूषा)। श्त्रीयों में fashionable दिखने कि आवृत्ति अधिक तीव्र होती है पुरुषों के मुकाबले। पुरुष अक्सर केवल utility के आधार पर चयन करते हैं।  Fashionable होना कोई खराब विचार नहीं है, बस अक्सर करके वो वस्त्र/या सामान हमारी बजट की सीमा को लंबे से लांघने लगता है। Furniture और car के मामले में बजट को लंबे से लांघा जाना आम बात होती है। मोबाइल फोन और computer इत्यादि की खरीदारी के समय लोग अक्सर बजट थोड़ा बड़ा ही बना लेते हैं ये सोच कर कि चलो ये समय उपयोग का भी तो है, और साथ में कई सालों में एक बार खरीदना होता है। भय केवल इस बात का होता है कि यदि खरीदने के बाद जल्द ही वो सामान खरीद निकल आया, तब खर्चा बढ़ जायेंगे, जो की पहले से ही बड़े बजट में खरीदा गया है। 

फिल्मों और अन्य कलाओं में किसी उत्पाद को पसंद करने का प्रायः कारण होता है मन में खुशी का एहसास दिलवाना। हास्य रस सबसे अधिक पसंद किए जाने वाला रस होता है। जनता प्रायः हसोड़ चरित्र या फिल्म को पसंद करती है। रामायण में हनुमान एक वानर हो कर भी स्त्रीयों और पुरुषों में सबसे अधिक पसंद किए जाने वाले चरित्र हैं। फिल्मों में पहले नायक अलग होता था, और हास्य कलाकार अलग। मगर फिर बाद के समय ने हीरो बनने वाले व्यक्तियों को ये एहसास आने लगा कि जनता में तो हास्य कलाकार अधिक पसंद किया जाता है, तो गंभीर नायकों ने भी हसौड़ी अभिनय करने की ठान ली। इस प्रकार से नायक चरित्र भी हास्य कलाकारों में शामिल होने लग गए।




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