संकुचित (संकीर्ण) मानसिकता और बद व्यवहार से इंसान अपने शत्रु बढ़ाता है

ये जरूरी नहीं की किसी व्यक्ति के शत्रु केवल तब ही बढ़ते हैं जब वो तरक्की करने लगता है। 

शत्रु तब भी बढ़ते हैं जब व्यक्ति संकुचित मानसिकता का हो जाता है। 

 संकुचित मानसिकता ?
– दूसरों को खराब, बदनीयत, द्रोही, अवगुण और निम्न बताने वाली बोली

Comments

Popular posts from this blog

About the psychological, cutural and the technological impacts of the music songs

विधि (Laws ) और प्रथाओं (Customs ) के बीच का सम्बन्ध

गरीब की गरीबी , सेंसेक्स और मुद्रा बाज़ार