जब कैमरे में कैद तस्वीर हमें हमारा चित्र दिखाती है, तब हम में आत्म मुग्धता आती है

 

यादें वो नहीं होती है जो आप कैमरा में कैद करते हैं, chip के ऊपर। यादें वो होती हैं जो आपका दिमाग और दिल दर्ज करता है, आपकी भावनाओं के पटल पर। कैमरा सिर्फ दृश्य रखता है, यादें दिल में रखी जाती है। 

यादें हमारी भावनाओं को क्रियान्वित करती है। हमें संवेदनशील बनाती हैं। भावनाएं इंसानी बुद्धिमता का आधार होती है। यादें भावनाओं का बटन होती हैं। 

कैमरा में सिमटी हुई यादें हमे संवेदनहीन बना सकती हैं। क्योंकि वो दिल को रिक्त कर देती हैं। 

जब हमारा मन हमें दर्पण दिखाता है, तब हमें हमारे चरित्र की कमियां दिखाई पड़ने लगती है। उन्हें सुधार करने से हम में भीतर से निखार आता है, शुद्धता आती है, व्यक्तित्व की खूबसूरती बड़ती है। 

मगर जब कैमरे में कैद तस्वीर हमें हमारा चित्र दिखाती है, तब हम में आत्म मुग्धता आती है

Comments

Popular posts from this blog

विधि (Laws ) और प्रथाओं (Customs ) के बीच का सम्बन्ध

गरीब की गरीबी , सेंसेक्स और मुद्रा बाज़ार

राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ और उनकी घातक मानसिकता