प्रभुत्ववादी सरकारें क्यों अपेक्षा के विपरीत, और अप्रत्याशित व्यवहार रखने को बाध्य बनी रहती हैं?

प्रभुत्ववादी सरकारें क्यों अपेक्षा के विपरीत, और अप्रत्याशित व्यवहार रखने को बाध्य बनी रहती हैं? 

Why the authoritarian regimes are pressed to adopt a behaviour filled with expectation-defiance, and making rougue decisions, having in replete the elements of surprise? 

बात को समझने के लिए पहले ये समझिए कि – तब क्या होता जब दो व्यक्तियों के बीच वैचारिक मतभेद के दौरान सुलह करने के कोई भी common grounds नही मिल पाते हैं? 

आज के युग में truth और alternative truth , reality और alternative reality में बंटी आबादी में ऐसा हो जाना सहज बात होगी। कि, लोगो में समझौता कर सकने की गुंजाइश ही न मिले। 

लोग अपनी अपनी बाते पर अडिग, अड़ियल होते दिखाई पड़ेंगे। ऐसे में वे अपने अपने पक्ष की सत्यता को दूसरे के विरुद्ध सही सिद्ध करने लिए केवल अपेक्षाओं की विधि पर निर्भर करने लगते हैं। वे एक दूसरे की सोच से निकलते गलत परिणामों की भविष्यवाणी करके आम जन को सचेत करते हैं, ताकि आम जन का विश्वास जीत कर उनके मत को अपने पक्ष में कर सकें। 

Proof by forecasting 

और ऐसे हालात में, दूसरा पक्ष अपने बचाव के लिए दूसरे पक्ष की तम्मान भविष्यवाणियों, अपेक्षाओं को ध्वस्त करने की चेष्टा करने लगती है। तब वो अटपटे से, अप्रत्याशित निर्णय लेने लगती है, ताकि जनता में वो भविष्यवाणियां सत्य न साबित होने पाएं। और जनता का मत विपक्ष के साथ न चला जाए। 

उपरोक्त बात कि एक corollary ये भी निकलती है कि अगर आप किसी सरकार को बहुत ज्यादा rogue, suprising decision या expectation defying निर्णय लेते देखें, तब अनुमान लगा लें कि शायद ये लोग किसी mind game के तहत truth बनाम alternate truth की जंग लड़ रहे हैं।

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