Professional Skillsmen are not valued properly in Indian system
रामविलास पासवान ने आज अनजाने में एक कड़क बात बोली है -- कि , सफाई कर्मचारियों की तनख्वा आईएएस के बराबर होनी चाहिए । शायद अनजाने में कही हो , मगर इतिहास और सामाजिक सिद्धांत से बात एकदम सटीक कही है , भले ही concept को समझने में आम भारतीय जनता को समय लग जाये । बहोत छोटे शब्दों में अगर समझाने का प्रयास करें तो यूँ है की समाज की जिस चीज़ की आवश्यकता अधिक होती है , जाहिर है की उसका मार्किट भाव अधिक होता हैं , क्योंकि वह होना भी चाहिए । और यदि ऐसा नहीं हो रहा है तो समझ लीजिये की आप अंधेर नगरी में जी कर उलटी खोपड़ी पैदा किये जा चुके है - वह इंसान जो सही को गलत , और गलत को सही समझ कर ही पला - बड़ा हुआ है । अब आप सामाजिक शास्त्र में आर्थिक इतिहास को पलट कर देख लीजिये । मगर भारत का आर्थिक इतिहास नहीं , उन दशो का जो अधिक श्रेष्ठ और विक्सित है । वह सब के सब अपने नागरिकों के कौशल यानि skill ...