क्या वाकई में अग्रेजों ने जाते जाते भारत पाकिस्तान बटवारे में divide and rule किया था ?
क्या वाकई में अग्रेजों ने जाते जाते भारत पाकिस्तान बटवारे में divide and rule किया था ?
मेरा ख्याल है की स्वतंत्रता के 67 सालों के दौरान हम भारतियों ने अपनी आत्ममोह मनोविकृति के चलते हमारे समाज में पहले से ही विधमान विभाजन के कणों को नकारने के लिए यह तर्क विक्सित कर लिया है की अंग्रेजों ने जाते जाते भी भारत-पाकिस्तान बंटवारा करके divide and rule को हमेशा के लिए यहाँ की भूमि में रोपित कर दिया है।
अगर वाकई में यह बंटवारा अंग्रेजों की देन होता तब पिछले 67 सालों में किसी भी पश्चिमी ताकत ने इन दो देशों को नहीं रोक की वह वापस मिल कर एक न हो सकें।
शायद हम सच का सामना करने से डरते है की बंटवारा अंग्रेजों की अंतिम सैनिकिय और कूटनैतिक रणनीति नहीं था, बल्कि खुद हमारे समाज और हमारी मनोविकृति की स्वतंत्रता के उपरांत की प्रथम देन था। समयकाल में हमारे समाज में विभाजन के अधार बड़ते-बड़ते जातिगत, क्षेत्रीय, भाषय्, लिंग, ग्रामीण-शहरी, आय वर्ग, और न जाने कितने हो गए हैं।
दुखद यह है की भारतीय इतिहासकारों और समाजशास्त्रियों ने भी स्वतंत्र भारत की पीढ़ियों को सच को अपने अंदर झाँक कर सामना करने के लिए तैयार नहीं होने दिया है। सच का प्रतिबिम्ब बहाय करके पीढ़ी दर पीढ़ी हमें बुद्धि और अन्तरात्म विहीन बनाया गया है की हम सदैव के लिए नकारते रहे की कमी असल में हम में ही है।
Comments
Post a Comment