पाखंडियों के हाथ में हिंदुत्व रह गया...
उठ-उठ के मस्जिदों से नमाज़ी चले गए
दहशतगरों के हाथ में इस्लाम रह गया
सुनने में भले ही यह कलाम इस्लाम धर्म से ताल्लुक रखता हुआ लगे, मगर कटु सत्य यह है की आज हिन्दू धर्म की हालात भी ऐसे ही हैं। न जाने हिन्दू और वैदिक धर्म के किस संस्करण को समाज में प्रसारित कर दिया गया है की आज क्षमा, प्रायश्चित , संवेदना, दया, सभ्यता, शिष्ट व्यवहार, इत्यादि के लिए इंसानी मस्तिष्क में कोई कोना नहीं बचा है।
एक से एक पाखंडी लोग महात्मा और साधू बने हुए पकड़े जा रहे है, "wrong number", जो मानवता के बहोत बड़ी आबादी की सोच पर कब्ज़ा करके सरे अधर्मी और पापी क्रियाकर्मों को अंजाम दे रहे हैं। आसाराम, बाबा रामपाल, स्वामी नित्यानंद, निर्मल बाबा, सत्यसाई , और अभी एक दम नयी, राधे माँ। शायद अभी भी सेकड़ों ऐसे नाम होंगे जिन्हें इस सूची में भुला दिया हो।
धर्म पाखंडियों के हाथो में चला गया है। वह जो की खुद योग और आयुर्वेद के नाम पर करोड़ों करोड़ का औद्योगिक साम्राज्य बिछाये हुए हैं। वह सामाजिक नैतिकता को धन की बिसात पर पलट रहे हैं। समाज को मूर्खता, अभद्रता, असहनशीलता जैसे दुर्व्यवहारों से व्याप्त कर रहे हैं। ऐसे ही लोग हिंदुत्व के नाम पर राजनैतिक समीकरणों को सीधे सीधे प्रभावित करने में रूचि दिखा रहे हैं। दुर्भाग्य है की भाजपा और आरएसएस जैसी स्वयं-घोषित हिन्दू संस्थाओं के समर्थक है यह लोग और आज देश के संवैधानिक संस्थाओं पर इनका शासन चल रहा है।
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