Why people should practise the intellectual yoga of participating in debates

There is one definite advantage of keeping yourself experienced with methods of debate - that, in order to outwit the opponent , you learn to foresee his likely onslaught on your arguments. This ability helps you improve on your own critical thinking . And then , you acquire ability to reason in a more balanced and robust manner - the kind which may save your decisions from failures as well as embarrassment due to  insufficiency. 


This is one single explanation why IT IS IMPORTANT TO PARTICIPATE IN DEBATES , as that helps in fostering intellectual abilities on oneself.


क्या लाभ मिलता है किसी इंसान को किसी वाद प्रक्रिया जैसे बौद्धिक योग में भाग लेना का ?


वाद प्रकिया में शमल्लित होना का अनुभव अर्जित करने एक सबसे प्रथम लाभ यह होता है कि - इंसान अपने प्रतिद्वन्दी को "खंडन-मंडन युक्ति" करते करते अपने स्वयं की बौद्धिक क्षमता का ऐसा विकास कर लेता है जो बौद्धिक कौशल जीवन पर्यान्त उसके संग रहते हुए उसके निर्णयों को विफलता से बचाने में सहयोग देते हैं, और जो कि उसको पूर्वज्ञान देते रहते हैं कि कैसे उसके निर्णयों का कोई विरोधी व्यक्ति खंडन-मंडन कर सकता होगा। इस प्रकार की बौद्धिक कौशल की विकसित कर लेने से इंसान का स्वयं का स्वमलोचनात्मक चिंतन प्रबल होता है। और इसके पर्यान्त आप स्वयं मंथन करने की ऐसी क्षमता अपने भीतर विकसित करने लगते हैं जो की आपके तर्कों को संतुलन और शक्तिशाली बनाते हैं - इस प्रकार वाले तर्क जो की आपके निर्णयों को विफलता से तो बचा ही सकें, संग में आपको किसी संभव मानहानि का पूर्वाभास दे दे की कौन से वाले तर्क कमज़ोर व अपर्याप्त हैं।


उपर्लिखित स्वयं में प्रयाप्त एवं पर्याप्त कारण है कि क्यों किसी व्यक्ति को वाद प्रक्रियाओं में भागीदारी देती रहनी चाहिए - क्योंकि, ऐसा करते रहने से उसके खुद की बौद्धिक क्षमता का विकास होता है।

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