Expert - To be or not to be

Indian Evidence Act अपने कुछ अनुच्छेद में Expert Witness की बात करता है।

मगर यह कानून कहीं पर भी Expert Witness की मापक परिभाषा, quantified definition, नही देता है।
तो यानी , जिक्र तो करता है, मगर परिभाषित नही करता है की किस मापदंड से तय होगा की किस विषय में expert witness किसे माना जाएगा। यहाँ पर 'कोर्ट' (यानी की जज महोदय) स्वतंत्र हो जाते है कि वह किसी भी अमुक व्यक्ति के विवरणी यानी CV के अनुसार उसे Expert Witness का ओहदा दे कर court का निर्णय कर दें उसके दिये गए ज्ञान के मद्देनज़र ।

सोचने वाली बात है की जब कानून खुद ही expert witness की मापन परिभाषा नही देता है तो आम व्यक्ति को इसका क्या अभिप्राय समझना चाहिए - कि, वह अपने आप को ज्यादा होनहार, ज्यादा Ultracrepidarian बनने से बचना चाहिए,

या
कि जब कोई मापन परिभाषा है ही नही तो फिर प्रत्येक व्यक्ति को स्वतंत्रता है वह विषयों में अभिरुचि लेकर स्वयं को Expert Witness के लिए उपयुक्त सिद्ध कर सके।

मेरी स्मृति में इस विषय पर एक अंग्रेज़ी फिल्म My Cousin Vinny अक्सर आती रहती है। फिल्म में एक वकील किसी एक आपराधिक मामले में अपनी चचेरी बहन, Vinny, जो की किसी मोटर गैराज में मरम्मत कारीगर का काम करती है, उसे ही कोर्ट में Expert Witness के तौर पर प्रस्तुत कर देता है और वहां पर Vinny मोटर गाड़ियों के पहियों के पद-छाप के प्रति विशष्ट ज्ञान को प्रस्तुत करके कोर्ट को हतप्रभ कर देती है तथा केस को जीत लेती है।

एक मोटर गैराज का साधारण सा मरम्मत कारीगर भी समय आने पर expert Witness बन सकता है।

यानी सिर्फ अभिरुचि का सवाल है, वरना कानून तो सभी के लिये दरवाज़े खुले रखे हुए है की कोई भी Expert का ओहदा प्राप्त कर ले।

सवाल राह चुनने का होता है जब ज़िन्दगी में दो राहें सामने आती है, कि आप क्या सोच कर कौन से राह चुनते हैं और किस स्थान पर पहुँचते हैं। जिंदगी इस तरह के दो-राही फैसलों से भरी हुई होती है।

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