Why Indian form of "Republican Democracy" is a flawed system

(from Facebook post dated 20Nov2017)

भारत ने अपना प्रशासनिक तंत्र ब्रिटेन से हस्तांतरण में प्राप्त किया था।
और ब्रिटेन ने यह तंत्र स्वयं अपने विशिष्ट सामाजिक -ऐतिहासिक घटनयेओं से trial and error से रचा बुना था।
इसीलिये उनके तंत्र की खासियत आज भी यह है कि वह republican डेमोक्रेसी नही, बल्कि monarchical डेमोक्रेसी है। ऐसा इसलिए क्योंकि वहां डेमोक्रेसी तब आयी जब जनता के आक्रोश ने राजा को आंतरिक युद्ध के बाद हरा दिया था।
मगर उनके विचारक चालक बुद्धिमान थे। उन्होंने यह मानवीय ज्ञान प्राप्त कर लिया की power corrupts, absolute power , absolutely corrupts। तो उन्हें पावर को नियंत्रित करने का तरीका ढूंढा power balance (या checks and balance) के सिद्धांत पर। इसके लिए राजशाही को खत्म नही किया बल्कि संसद बना कर राजशाही को लगाम में कर दिया।
इससे क्या मिला , जो कि भारत मे नकल करके लिए republican democracy तंत्र में नही है ?
भारतीय तंत्र में ब्रिटेन के मुकाबले Keeper of the conscience की भूमिका देने वाला पद कोई भी नही बचा। britain में चूंकि राजशाही dynasticism पर है, इसलिए वह आजीवन उस पद पर रहते हैं , और उनके उपरांत पद का उत्तराधिकारी संसद के चुनाव से नही, बल्कि वंशवाद पद्धति से आता है। यानी राजा स्वंत्र चिंतन का व्यक्ति है।
भारत मे राष्ट्रपति संसद ही चुनता है, और वह पांच साल में रिटायर भी होता है। इसलिए वह मोहताज़ है अपने अगले कार्यकाल के लिए politicial class का।तो वह keeper of conscience की भूमिका नहीं देता है । अगर राष्ट्रपति कलाम साहब की तरह proprietary का सवाल करे तो फिर फाइल को उसकी मेज़ तक नही पहुचने दो, उसके रिटायरमेंट के इंतेज़ार कर लो। मगर ब्रिटेन में तो आजीवन वाली राजशाही है। और britain के बढ़े शिक्षण संस्थाएं, और बीबीसी सीधे राजा के अधीन है, संसद के नही। और उनका धन खर्च गणितीय फॉर्मूले से स्वतः मिलता है।
अमेरिका का republican democracy सिस्टम की उपज कर अपना सांस्कृतिक-इतिहासिक घटना क्रम है। वहां मुख्य न्यायालय के न्यायधीश रिटायर नही होते।
भारत ने दोनों का मिला जुला तंत्र बनाया है, और असल मे सब गुड़गोबर कर दिया है।

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