ग़ुलामी के लिये अभिशप्त है भारतीय संस्कृति

Via Mani S

कभी कभी यूँ लगता है कि big bang से लेकर आज तक के सामाजिक इतिहास को अपने सामने संक्षिप्त रूप में घटते देख रहा हूँ।

आआपा के अंदरूनी संघर्ष में वह सब मसालों के चुटकी भर मात्रा के अंश है जो कि आज तक के भारत के सामाजिक इतिहास की दास्तां को बयां करते हैं।
समझ मे आता है आखिर क्यों और कैसे इस देश की किस्मत में ही लिखा था कि इसे हज़ारो सालों की ग़ुलामी ही भुगतनि थी। और फिर सौ-एक सालो की आज़ादी के बाद में वापस ग़ुलामी में चला जायेगा।

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Via Mani M

ये हमारी भारतीय मूल के डीएनए की तासीर है भाई । इसलिए ग़ुलामी तो अभिशप्त हैं हम

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Via Mani M

क्या करेंगे , क्या न करेंगे ये तो भविष्य के गर्त में हैं । यहाँ तो कुछ विश्लेषण और क़यास लगाए जा रहे हैं । भाजपा तो ऐसे मौक़े के तलाश में ही रहती है और कुमार इसमें किस रूप में बैठेंगे ये एक अनुमान है । और पार्टी की उपेक्षा कुमार को ऐसा करने पर विवश भी कर सकती है ।

दूसरी बात ‘आप’ पर्सेप्शन की लड़ाई हार चुकी है ! अब ये सवार्थसिद्धि और चाटुकारों का एक समूह लगता है

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Via Mani S

चलिए....यही सही।

बहाने /कारण तो यूँ भी बनाये जा सकते है कि -
यहां good samaritan जनता साला है ही कौन ??सभी तो अपने अपने स्वार्थ के लिए है यहां।

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Via Mani M
सब मौक़े और परिस्थिति के अनुसार बदलते रहते हैं । सत्य है

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