अंतरिक्ष अनुसंधान और कंप्यूटर कृत तस्वीरें

 अंतरिक्ष अनुसंधान की अधिकांश तस्वीरें काल्पनिक शक्ति के प्रयोग करके कंप्यूटर कृत ही दिखाई जाती हैं। 

बल्कि एक आश्चर्यजनक तथ्य यह भी है कि किसी भी मनाव निर्मित उपग्रह तथा यान ने आज तक खरबों खरबो धरती की तस्वीरें निकाली है, *मगर एक भी तस्वीर में धरती को पूर्ण गोल रूप में देखा नही गया है।
इसका मतलब है की इस बात का एकदम अभेद प्रमाण किसी तस्वीर के रूप में तो आज भी नही है कि धरती गोल ही है ! जो भी तस्वीर हम इंसानों ने आज तक देखी हैं जिसमे धरती गोलाकार दिखती है, *वह कल्पना कृत है।

दूसरा, कि धरती की एक भी तस्वीर बादल रहित कभी भी नही मिली है। मतलब , देशो और समुन्द्रों की सीमाओं को स्पष्ट दिखाने वाली google maps और google earth की जो कोई भी तस्वीर हम देखते है वह सब कंप्यूटर द्वारा कई तस्वीरों में संपादन करके बदलो इत्यादि को हटा करके, रंगों को निखार करके निर्मित करि जाती है। 
इसका अर्थ यह है कि दूसरे शब्दों में वह सब "छेड़छाड़" से प्राप्त तस्वीरें ही है।


 इसका यह अर्थ भी नही की हम वापस संदेह करने लगे कि क्या हमे झूठ पढ़ाया जाता है कि धरती गोलाकार है। 
मगर तब भी आज भी कई सारे ऐसे क्षणिक पंथ है जिनका आज भी मानना है कि धरती गोल नही, बल्कि सपाट है। और वह उसका प्रमाण भी बखूबी देते हैं, करीब करीब विश्वनीय सा की कैसे जो कुछ भी गोलाकार धरती के प्रमाण है , वह सब कैसे असल मे एक झूठ हैं !😃😀😀


उन्ही पंथ वालों के प्रमाणों को सुन कर यह समझ मे आया कि नासा की तस्वीरें तो असल मे संपादित तस्वीरे ही होती है। और नासा इस सच को बिल्कुल स्वीकार भी करता है !

😃😀😀

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