छोटे बच्चों को जादू सीखाना

 छोटे बच्चों को जादू सीखाना बहोत बड़ी कला होती है।

असल में मासूम बच्चों को जादू सीखाने में वास्तविक बात जो कि उनको सिखाए जाने के लिए कठिन होती है, वह होती है दूसरे को मंत्रमुग्ध करते हुए अपनी tricks को पूरा कर गुज़रना, बिना पकड़ में आये। मगर अक्सर करके सीखाने वाले जो ग़लती करते हैं, वह यह कि वो tricks की पोलपट्टी उजागर करने में ज़्यादा ज़ोर दे देते हैं, जिससे कि बच्चे दूसरे को विस्मयी बनाने की कला को पकड़ ही नही पाते हैं।

वास्तविक कला जो कि सिखाई जानी होती है, वह है presentation यानी दूसरे को मंत्रमुग्ध करते हुए अपनी tricks को पूरा करने की कला।

देखा जाये तो आज की दुनिया भी "जादू की कला" पर ही चलती है - दूसरे को बुद्धू बनाने की कला , दूसरे को उल्लू/बेवकूफ़ बनाने की कला। और हम लोग ग़लती यह कर देते हैं की अपमे बच्चों को "जादू करना" सीखने की बजाये "जादू की पोलपट्टी पकड़ना" सीखने पर बल दे देते हैं। यह ग़लती है। बच्चे दुनिया को चलाने वाली शक्ति के संग नही हो कर उसके विपरीत चलने लगते हैं।
बच्चों की मासूमियत अक्सर करके रास्ते का रोहड़ा होती है, उनको जादू करना सीखने में। मगर ज़्यादा बड़ा रोहड़ा तो सीखाने वाले की बुद्धि का भी होता है कि वह tricks की पोलपट्टी सीखने में ज़्यादा दम लगा देता है, बजाये की कैसे tricks को कामयाबी से कर गुज़रे।
जो बालक presentation की कला में प्रवीण बनते हैं, चेतना अक्सर उन्हीं में आती है, और वही आज की व्यापारिक दुनिया में क़ामयाबी की ओर अग्रसर हो पाते हैं।

Comments

Popular posts from this blog

the Dualism world

Semantics and the mental aptitude in the matters of law

It's not "anarchy" as they say, it is a new order of Hierarchy