भोजपुरी समाज में anti-intellectualism

भोजपुरी समाज में अक्सर करके एक anti learning आचरण दिखाई पड़ता है। लोगों में दूसरे के विचारों को सुनने , समझने और सोचने की बौद्धिक क्षमता क्षीर्ण होती है। और वो इस कमी से विचलित होने की बजाये इस पर गर्व करते हैं। 


यह बौड़मता संस्कृति से प्रसारित होती आ रही है। 


लोगों के चिंतन में एक शोर noise कहीं से बचपन से ही प्रवेश कर जाती है। तमाम किस्म के दरिद्रता से निकले complex उनके दिमाग में भरे हुए रहते हैं और वह उनके दिमाग में एक शोर मचा रहे होते हैं। नतीज़ों में व्यक्ति अपनी युवा अवस्था से ही learning resistive आचरण भर लेता है।

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