बहरूपिया तर्कों के प्रवीण योद्धा - भाजपाई
बहरूपिय (DUPLICATE) तैयार कर लेना भाजपाईयों के तर्क शास्त्र की सबसे उत्तम विद्या है।
आप पार्टी ने भ्रष्टाचार और व्यवस्था सम्बंधित जागृति के लिए 'चर्चा समूह' नाम के सामाजिक -राजनैतिक कार्यक्रम को चालू किया।
भाजपाईयों ने 'चाय पर चर्चा' शुरू करी।
केजरीवाल पर फोर्ड फाउंडेशन और विदेशी कंपनियों से दान लेने का आरोप लगाया।
फोर्ड फाउंडेशन से दान खुद भी लिए थे, और वेदान्त समूह से अवैधानिक दान के लिए सर्वोच्च न्यायालय में खुद पकडे गए हैं।
केजरीवाल को दिल्ली के मुख्य मंत्री पद के त्याग को 'भगोड़ा' करार दिया, अब पता नहीं क्या तर्क दे रहे हैं की मोदी ने अपनी धर्मपत्नी को क्यों छोड़ दिया।(सुना है की तुलसीदास और कुछ संतो का उदाहरण दे कर मोदी के "त्याग" का प्रचार कर रहे हैं। बस मैं यह नहीं समझ पा रहा हूँ कि भाजपाइयों के "त्याग" के इस मानदंड पर केजरीवाल ही क्यों असफल हैं। और केजरीवाल ने तो मोदी के समतुल्य किसी दूसरी नारी की राज्य संसाधनों के बल पर जासूसी भी नहीं करवाई है।)
भाजपाइयों के इस तर्क विद्या को प्राचीन यूनान में "सोफिस्ट(sophist)" कहते थे। सोफिस्ट लोग सोक्रेटेस और एरिस्टोटल के विचारों के विरोधी थे और सोफिस्ट के तर्कों की कोई निश्चित रूपरेखा नहीं होती थी। इसलिए वह कैसे भी, बस... तर्क शास्त्र को उस पल जीत लेने की चाहत रखते थे। सत्य , धर्म , विचार मंथन -यह 'सोफिस्ट' लोगों के तर्कों में नहीं था।
आजकल यह लोग केजरीवाल पर हुई हिंसा पर खिल्ली उड़ाते नज़र आते हैं। यह नहीं देखते कि इनके नेता कितनी "Z+" सुरक्षा लिए घूमते हैं।
यह नहीं देखते हैं कि कितने सारे आपराधिक लोगों को इन्होने चुनाव लड़ने के लिए प्रायोजित किया है।
बहरूपिये तर्कों से जनता को भ्रमित कर देने में सहायता होती है। नागरिकों में जो लोग तर्कों की सहायता से सिद्धांतों को समझने का प्रयास कर रहे होंगे, उनके लिए बहरूपिये , नकली तर्कों की भुलभुलैया खड़ा कर देते हैं।
भाजपाई 'बदलाव' की बात भी करते हैं और "आर्थिक बढ़ोतरी/स्थिरता के लिए एक स्थिर केंद्र सरकार" का वास्ता दे कर भी वोट मांगते है।
भाजपाई लोग केजरीवाल पर आरोप लगाते थे कि "केजरीवाल कहता है कि सारी दुनिया बेइमान है और सिर्फ वह खुद अकेला ही ईमानदार है"। और अब खुद सिर्फ मोदी को ही सब मर्ज़ की दवा बता रहे हैं। "अच्छे दिन आने वाले हैं क्योंकि मोदीजी आने वाले हैं।"
केजरीवाल तो फिर भी किसी निति निर्माण , उसके प्रिय "जन-लोकपाल विधेयक" के माध्यम से देश की समस्याओं का निवारण देना चाहते हैं। भाजपाई सिर्फ मोदी जी को ही सब समस्याओं का हल मानते हैं!
भाजपाई केजरीवाल पर आरोप लगाते हैं की आप पार्टी कोंग्रेस की बी-टीम है। मगर कोग्रेस के भ्रष्टाचार काण्डों को छिपाने में सबसे आगे यह ही हैं। याद है गडकरी का कथन "चार काम यह हमारे करते हैं और चार काम हम इनके करते हैं"। और फिर दिल्ली विधान सभा में केजरीवाल के जन लोकपाल विधयेक को भाजपा और कोंग्रेस ने मिल कर परास्त किया था।
भाजपाई लोग आप पार्टी के आरोपों और सिद्ध तर्कों का बहरूपिया तैयार कर देते हैं जिससे उबरने के लिए प्रत्येक इंसान को अंतरध्वनी की आवश्यकता होती है।
फिर......
....... भारत की शिक्षा और सामाजिक जागृती का हिसाब तो हम सभी को है।
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