पारदर्शिता, गोपनीयता और व्यक्तिगत
पारदर्शिता (Transparency ), गोपनीयता (/गुप्तता) (Secrecy ) और व्यक्तिगत (/ एकंकता ) (privacy ), तीन अलग-अलग शब्द विचार हैं । विधि -विधान में इनकी कोई निश्चित परिभाषा नहीं दी गयी है , मगर इनको तीन अलग अलग विचार के रूप में ज़रूर स्वीकृत करा गया है । किसी कृत्य में कौन सा विचार लागू होता है , यह तय करना मुश्किल कार्य माना गया है । इसलिए अतीत के उदहारण पर निर्भर होना सबसे सुरक्षित तर्क माना जाता है ।
अंतर्राष्ट्रीय मानदंडो से चले तो यह माना गया है की हर कार्य जो जन व्यवस्था से सम्बन्ध रखता है , वह पारदर्शिता में होना है । यह सभी के संज्ञान में होगा , सभी के साक्ष्य में होगा ।
मगर राष्ट्रीय सुरक्षा से सम्बंधित कार्यों को गोपनीयता के दायरे में रखने की छूट दी गयी है । ख्याल यह रखना है की गोपनीयता के यह संसाधन दुरूपयोग न हों , पारदर्शिता से सम्बंधित कार्यों को जन -संज्ञान से छिपाने के लिए ।
गुप्तता व्यक्तिगत कार्यों के लिए दी जाती है ।
एक छोटा उदहारण ले ।
पहने गए कपड़ों से सम्बंधित जानकारी गुप्तता के दाएरे में आती है । कपडे क्या है और उनसे शरीर छिपाया जा रहा है , यह सभी को मालूम है । मगर यह गुप्तता एक मनोवैज्ञानिक आवश्यकता है, इसलिए यह जनता की जानकारी में दी जाती ।
जेब में रखे पैसे गोपनीयता में रहते हैं । इसकी जानकारी कुछ ख़ास , चुनिन्दा लोगों को ज़रूर होती है । यह जनता में नहीं दी जाती , और व्यक्तिगत होने के मौलिक अधिकार में नहीं आती क्योंकि आय-कर और भ्रस्टाचार-सतर्कता विभाग इत्यादि न्यायलय आदेश के माध्यम से आप से यह जानकारी वसूल कर सकते हैं ।
परस्पर रिश्ते में हुए कार्यक्रम पारदर्शिता में करे जाते है , जिससे सभी को साक्ष्य बनाया जा सके ।
अंतर्राष्ट्रीय मानदंडो से चले तो यह माना गया है की हर कार्य जो जन व्यवस्था से सम्बन्ध रखता है , वह पारदर्शिता में होना है । यह सभी के संज्ञान में होगा , सभी के साक्ष्य में होगा ।
मगर राष्ट्रीय सुरक्षा से सम्बंधित कार्यों को गोपनीयता के दायरे में रखने की छूट दी गयी है । ख्याल यह रखना है की गोपनीयता के यह संसाधन दुरूपयोग न हों , पारदर्शिता से सम्बंधित कार्यों को जन -संज्ञान से छिपाने के लिए ।
गुप्तता व्यक्तिगत कार्यों के लिए दी जाती है ।
एक छोटा उदहारण ले ।
पहने गए कपड़ों से सम्बंधित जानकारी गुप्तता के दाएरे में आती है । कपडे क्या है और उनसे शरीर छिपाया जा रहा है , यह सभी को मालूम है । मगर यह गुप्तता एक मनोवैज्ञानिक आवश्यकता है, इसलिए यह जनता की जानकारी में दी जाती ।
जेब में रखे पैसे गोपनीयता में रहते हैं । इसकी जानकारी कुछ ख़ास , चुनिन्दा लोगों को ज़रूर होती है । यह जनता में नहीं दी जाती , और व्यक्तिगत होने के मौलिक अधिकार में नहीं आती क्योंकि आय-कर और भ्रस्टाचार-सतर्कता विभाग इत्यादि न्यायलय आदेश के माध्यम से आप से यह जानकारी वसूल कर सकते हैं ।
परस्पर रिश्ते में हुए कार्यक्रम पारदर्शिता में करे जाते है , जिससे सभी को साक्ष्य बनाया जा सके ।
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