सिग्मंड फ्रॉएड और शिक्षित तथा अशिक्षित व्यक्ति का अंतर

 मनोविज्ञान के जनक, ऑस्ट्रिया के सिग्मंड फ्रॉएड, का विचार था कि इंसान का व्यवहार उसकी मस्तिष्क की अवचेतन में बसी कुछ धुंधली यादें(subconscious memories), उसकी सोच(thoughts) और उसकी अस्पष्ट चाहतों(urges) से निर्धारित होता है। 
और इंसान को खुद से भी पता नही होता है उसकी ये सब अस्पष्ट, धुंधली बातें। 

  यानी इंसान खुद भी नही जानता है कि वो क्या, क्यों, किस वजह से व्यवहार कर रहा है। सिगमंड के अनुसार जो लोग अनुशासन, नियम, दबाव में जीवन जीते हैं, वे ऐसे इसलिए होते हैं क्योंकि उनके बचपन में उन्हें मल त्यागने पर घोर क्रोध से नियंत्रित किया जाता था।(Anal Retentive)

 –भाग २

इंसान संसार को जिस आधारों से देखता, समझता, उच्चारण करता है, वे cognitive schemas कहलाने वाले बिंदु इंसान को अपने पर्यावरण,निकट संबंधियों,मित्रो और शिक्षा से प्राप्त होते हैं। प्रत्येक इंसान अपने मतानुसार संसार को चलाने वाली शक्तियों को बूझता रहता है,ताकि वो इन शक्तियों को अपने हित में, सुख सुविधा के लिए नियंत्रित कर सके। इस शक्तियों का बोध प्रत्येक इंसान में भिन्न होता है–ये क्या है, कैसी हैं, इत्यादि। 

शिक्षित व्यक्ति और गंवार(अशिक्षित) का अंतर यही से आता है। 

इन शक्तियों को बेहतर समझते बूझते और फिर जीवन में अधिक सफल होते हैं, वे अक्सर ऐसे लोग होते हैं, जो किन्हीं अकादमी में जा कर पुराना, संजोया हुआ, संरक्षित ज्ञान किताबों से प्राप्त करते हैं। वे शिक्षित लोग समझे जाते हैं।

 और गंवार वे होते हैं, जो इन शक्तियों का बोध अपने जीवन अनुभव, मित्रो, पर्यावरण से निर्मित करते हैं। अक्सर ऐसे लोग कम सफल होते हैं।

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