बच्चों की शिक्षा के प्रति मातापिता के लिए नया, उभरता उत्तरदायित्व

ज्यों ज्यों इंटरनेट पर अकादमी विषय ज्ञान का संग्रह बढ़ता जा रहा है, त्यों त्यों competitive exams भी मुश्किल होते चले जा रहे हैं। आज मातापिता की मुश्किल ये नही है कि किताबें महंगी है। मुश्किल है कि इतने सारे ज्ञान को अपने बच्चों में सोखा कैसे जाए। 

 बच्चों की मित्रमंडली और दिनचर्या को प्रतिदिन ज्ञान को सोख सकने के अनुकूल बनाए रखना वास्तविक चुनौती हो चुकी है। Coaching classes, online study courses, का बाजार खड़ा हो चुका है। और सभी कि उस तक पहुंच बन चुकी है। बच्चे में बाज़ार के ज्ञान को सोखते हुए अपनी रचनात्मकता को बनाए रखना भी एक चुनौती बन गई है बाजार में रखा अकादमी ज्ञान भेड़चाल को बढ़ावा दे रहा है। बच्चे अब पहले से और अधिक run–of–the–mill "श्रेष्ठ ज्ञाता" बन जा रहे हैं। Unsolved mysteries, unknown questions, puzzles को सुलझाने में बौद्धिक क्षीर्ण। ऐसा होने से बचा लेना मातापिता के नया, उभरता उत्तरदायित्व है।

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