फ़िल्म actor , राजनैतिक पार्टी विवाद और तंत्र में political neutrality की कमी
critically speaking, यह जितना भी ड्रामा चल रहा है भाजपा से समर्थित कंगना रनौउत और शिवसेना के मध्य में, इसका सिर्फ और सिर्फ एक ही मूल कारक है -- कि , तंत्र में political neutrality नहीं है !
भारत के संविधान में एक अभिशाप दिया हुआ है अपनी तमाम खूबियों के बीच में। वह यही है -- कि , तंत्र में शक्ति का पर्याप्त विभाजन करके संतुलन नहीं किया गया ! इसके परिणाम गंभीर निकले ७० सालों की तथाकथित "स्वतंत्रता" के बाद, कि वास्तव में प्रत्येक नागरिक की आत्मा आज भी बंधक है तंत्र की !! --गुलाम
bmc जो की शिवसेना+भाजपा द्वारा नियंत्रित है, उसकी कार्यवाही की टाइमिंग वाकई में संदेहास्पद है। यदि हम नागरिकों ने यह संदेह नहीं उठाया तो फिर इसके प्रजातंत्र व्यवस्था पर गंभीर नतीजा होगा --!!
क्यों ?
क्योंकि, प्रत्येक नागरिक कहीं न कहीं कुछ न कुछ छोटी मोटी गलतियां तो ज़रूर करता है। होगा क्या, कि तंत्र आपकी गलतियों की पर्ची बना जेब में रखा रहा करेगा, और -- क्योंकि तंत्र में political neutrality पहले से ही नहीं है -- तो वह अपनी मनमर्ज़ी से कभी भी आपके नाम की पर्ची निकल कर आपको प्रताड़ित करता रहेगा !!
संजीव भट्ट का केस देखिये !! २० साल पुराने मामले में अब जा कर कार्यवाही करि गयी है !
बात साफ़ है -- कि तंत्र में काबलियता है --psychopathic तरीके से sadistic pleasure लेने की। मनमर्ज़ी से तथकथित "न्याय " को चाबी आपके खिलाफ घुमन कर आपको , आपके ज़मीर को , आपके अन्तरात्मा की आवाज़ को दमन कर सकता है !!
1950 में तो सिर्फ संविधान आया था , कानून तो वही सब पुराने वाले ही रह गए थे !! वही वाले कानून (acts ) जो की 1857 की ग़दर के बाद से सैनिको और बाबू शाही में अन्तर्मन की आवाज़ को दमन करने के उद्देश्य से व्यूह रचन करे गए थे - कि , दुबारा कोई ग़दर न हो !
लोग वही व्यवस्था अनुभव करते आ रहे है। . और इसलिए पैदाइशी psychopath होते है -- sadistic pleasure लेने वाले ! उनको political neutrality की गड़बड़ मानसिक तौर पर समझ ही नहीं आती है। शायद उनके IQ के ऊपर चली जाती है बात !
अब केंद्र में बैठी सर्कार ने भी सोच समझ कर , political neutrality की कमी का फायदा उठा कर Y + category की सुरक्षा मुहैय्या करवाई है ! शिव सेना के क्रोध को कंगना के बोल उबालेंगे , और शिवसेना गुंडागर्दी की अपनी पुरानी छवि की कैदी खुद ही बनती चली जाएगी !!! उसके वोट कटने लगेंगे !
game सीधा सा है !
मगर वास्तव में यह game नहीं है , यदि आपमें वह तंत्रीय psychopathy से खुद को बचा सकने की क्षमता हो तो ! यदि आप वाकई में प्रजातंत्र के हिमायती है, आपको EVM से दिक्कत है, तब आप इस "game " को मज़े लेते हुए नहीं देखें। इसके माध्यम से तंत्रीय गड़बड़ को समझें।
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