Post Truth राजनैतिक संस्कृति और समाज में व्यापक मनोविकृति
Post Truth वाली राजनैतिक संस्कृति अपने संग में व्यापक मनोविकृति भी ले कर आयी है। लोग और अधिक अमानवीय, क्रूर, शुष्क, कठोर और आक्रांत व्यवहार करने लगे है एक दूसरे से। ऐसा क्यों? क्या संबंध होता है राजनैतिक व्यवस्था का समाज की व्यापक मनोअवस्था से? क्या अत्यधिक छल वाली राजनीति अपने संग व्यापक मनोविकृति ले कर आती है? Post truth की मौजूदा राजनैतिक संस्कृति ने सत्य और न्याय के परखच्चे उड़ा कर रख दिये हैं। कभी भी, कुछ भी सत्य अथवा असत्य साबित किया जा सकता है, चाहे वह कितनों ही भीषण विपरीत बोधक क्यों न हो। ऐसा हो जाने से लोगों की व्यापक मानसिकता पर क्या असर आता है? लोगों को आशंका और भय सताने लगता है! लोगों को यह "जागृति" आती है कि सत्य से ज़्यादा आवश्यक होती है नेता के प्रति निष्ठा । सत्य अब विस्थापित हो जाता है निष्ठा और चापलूसी से। लोगों का समझ आने लगता है कि यदि वह चापलूसी नही करना चाहते हैं तब उनको जीवन जीने का एकमात्र तरीका है कि "अपने को बचा कर चलो। वरना पता नही कब कहां तुन्हें फँसा दिया जाये और तुम कितने ही सही क्यों न हो, प्रशासन यदि तुमसे खुस नही है (क्योंकि तुमने ...