निश्चयकृत सुधार नीति का विश्वव्यापक उपयोग
Affirmative Action यानि निश्चयकृत सुधार नीति, जिसका एक उदाहरण आरक्षण नीति है, दुनिया के तमाम देशों में प्रयोग किया जाता है।
इंटरनेट सोशल मीडिया में कई सारे पोस्टर आरक्षण नीति का विरोध करते हुए अवधारणाओं को जन्म दे रहे हैं। मिसाल के तौर पर एक पोस्टर में दिखाया गया है की कैसे भारत में प्रयोग होने वाली आरक्षण नीति हमारे देश से बौद्धिकता पलायन (brain drain) का कारक साबित हो रही है जिससे की अमेरिका जैसे देश अन्यथा लाभान्वित हो रहे हैं। इस पोस्टर में दिखाए गए विचार के विपरीत अमेरिका खुद भी किसी न किसी प्रकार में एक निश्चयकृत सुधार नीति का प्रयोग करता है। तो यह पोस्टर सरकरी लक्ष्यों के विपरीत विचार को प्रसारित करता है, हालाँकि की यह कहना अनुचित होगा की कोई बाँधा पहुचता है।
अगर भारत में प्रयोग होने वाले जाती-गत आरक्षण को एक समग्र रूप में समझे तो हम पाएंगे की दुनिया के तमाम देशों में उनकी सरकारें किसी मानववर्ण(ethnic), कायावर्ण(racial), लिंगवर्ण(gender) , क्षेत्र-वर्ण (regional), शारीरिक क्षमता वर्ण(physical capacity), आर्थिक वर्ण(economic), सांस्कृतिक वर्ण(cultural), इत्यादि के आधार पर अपने अपने देशों में सामाजिक समानता लाने के लिए प्रयत्नशील हैं।
प्रशासन, यानि सरकार, का उत्तरदायित्व होता है की देश में राष्ट्र-निर्माण के लिए आवश्यक एक सभ्य समाज को विक्सित किया जाये। सभ्य-समाज के तत्व में समानता और सामाजिक न्याय एक मूल गुण होता है। दुनिया के करीब करीब सभी देशों में किसी न किसी प्रकार की भेदभाव वाली ऐतिहासिक त्रासदी घटी है जिसके चलते किसी भी देश को सभ्य समाज एक प्राकृतिक उपहार स्वरुप प्राप्त नहीं हुआ है। मानवता कभी भी, किसी भी युग में समानता वादी नहीं थी, भेदभाव सभी जगह अपने अपने स्वरूप् में प्रस्तुत रहे हैं। इसलिए आज भी दुनिया के सभी देश अपनी अपनी सामाजिक आवश्यकताओं के अनुरूप अपने मनवांछित सभ्य समाज को निर्मित करने के लिए निश्चयकृत सुधार नीति का प्रयोग कर रहे हैं।
निश्चयकृत सुधार नीति का दूसरा पहलू इसे हमेशा एक विपरीत-भेदभाव नीति के रूप में प्रस्तुत कर देता है। जो कोई भी निश्चयकृत सुधार नीति से सीधे सीधे लाभान्वित नहीं हो रहा होता है, वह इस नीति की आलोचना एक विपरीत-भेदभाव नीति(Reverse Discrimination) के रूप में करता है। एक विचार के रूप में यह कोई गलत आलोचना नहीं है, क्योंकि यदि एक बारीक संतुलन से निश्चयकृत सुधार नीति को लागू न किया जाये तब यह अपने देश के निवासियों को ही देश के प्रति शत्रु भाव में परिवर्तित कर सकने की क्षमता रखती है।
यदि श्रीलंका में घटे सिंघलि-तमिल विवाद को देखें , जिसके दौरान में हमें एक किस्म की निश्चयकृत सुधार नीति का प्रयोग दिखाई देगा,तब वहां से यह सबक लेना आवश्यक हो जायेगा की कैसे एक असंतुलित नीति देश की जनसँख्या के अंश को देश के शत्रु में परिवर्तित कर देती है।
नीचे सलग्न विकिपीडिया का अभिलेख दुनिया के कई देशों में प्रयोग होने वाली निश्चयकृत सुधार नीति का ब्यौरा प्रदान करता है।
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