क्या केमिकल लोच्चा है भक्तो की बुद्धि में -1 ...!

कहीं कुछ तो "कैमिकल लोच्चा" है भक्तों की तर्क बुद्धि में। वह विपरीत मायने वाले तर्कों को एक साथ अपने तीरों के तुरिण में रखना चाहते हैं।
    अब इस स्वच्छता अभियान को लीजिये। कांग्रेस के कार्यकाल में भी टीवी पर नागरिकों को स्वच्छता का पाठ देने के लिए जनहित सूचना प्रचार आया करते थे। फिर क्या हुआ, ज़रा गौर करें...
     नरेंद्र भाई के प्रधानमंत्री बनते ही भक्तों ने यहाँ पर एक अजीबोगरीब तर्कों वाली कारीगरी करी हैं। पहले तो, 02 अक्टूबर 2014 को नरेंद्र भाई ने स्वच्छता अभियान छेड़ा। अब इस अभियान के तहत नागरिकों को पाठ और प्रेरणा देने की बजाये "टैग" करने का चलन निकाला गया, कि जिसको जिसको टैग किया गया है वह जाकर खुद झाड़ू उठा कर लगाये। चलिए ठीक है..
   हद तब हो जाती है जब नरेंद्र भाई के भक्त नागरिकों की कूड़ा फेकते हुए तस्वीर सोशल मीडिया पर डालने लगते हैं , नरेंद्र भाई के बचाव में टिप्पणी लिखते हुए कि देखिये नरेद्र भाई अकेला क्या क्या करेगा !
    बात कुछ ऐसी हो गयी की किसी अबोध बालक को जब पढ़ना लिखना सिखाया जा ही रहा था, तब शिक्षका के स्थानांतरण के पश्चात अचानक से बालकों की पढाई लिखाई रोक कर परीक्षा लेने लग गए। और जब बालक असफल हो गया तब उसी पर नालायकी और मेहनत नहीं करने का छींका फोड़ दिया गया । !!!
     नगर निगमों में व्याप्त भ्रष्टाचार नियंत्रण में लेने की बात विलीन कर दी जाने लगी है। म्युनिसिपल स्कूलों से लेकर निजी स्कूलों में दैनिक कचरै को निपटारण को छात्रों को प्रशिक्षित नहीं किया गया है, म्युनिसिपल संस्थाओं ने कचरे को ठिकाने लगाने की योजनाएं अभी तक निर्मित नहीं करी हैं, और न ही नागरिकों को उस योजना के अंतर्गत प्रशिक्षित किया गया है, शौचालय सभी नागरिकों के पहुँच तक नहीं आये हैं...और असफलता का छींका वापस नागरिकों पर ही फोड़ना शुरू कर दिया है मोदी भक्तों ने !!  अगर येह ही परिणाम देने थे तब स्वच्छता अभियान छेड़ा ही क्यों ..?

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