"राजनीति" शब्द मूल पर एक विचार

जन संवाद में प्रयोग होने वाला शब्द "राजनीत" एक भ्रामक है।

राजनीत का मूल शब्द-विचार है 'राज्य चलाने की नीतियां'।
आदर्श स्थिति और वातावरण में नीतियों का निर्माण करने हेतु विभिन्न विचारों को संगृहीत करा जाता है, विचार विमर्श होतें हैं, सही और गलत, उचित और अनुचित विचारों में भेद करने के लिए इन विचारों के प्रतिनिधि आपस में वाद-विवाद करते हैं , तर्क भेद होते हैं, और इस प्रकार की विधियाँ प्रयोग होती हैं।
इस क्रिया में भिन्न-भिन्न विचार, पर्याय शब्दम 'मत', वाले दल उत्पत्ति में आते हैं।
इन तमाम क्रिया और पद्दतियों का परम उद्देश्य होता है जन कल्याण।

विचार-विमर्श और वाद विवाद के लिए स्थाई, और जन-सुलभ स्थान, कक्ष अथवा गृह निर्माण करवाया जाता है--जिसे संसद कहते हैं।
गौर करे तो न्यायलय और संसद में यह समानता है की वाद-विवाद दोनों स्थानों का स्थाई उद्देश्य होता है।
शायद इसी लिए अधिवक्ता और वकीलों का प्राकृतिक झुकाव राज्य की निति निर्माण में होता है। वैसे भी, नीतियाँ न्यालयों के वाक्यों को प्रभावित करतीं हैं, और न्यायालयों के वाक्य नीतियों को।

हम वर्त्तमान में अपने आसपास जो आभास कर रहे हैं यह उस मूल विचार राजनीति से बहुत अलग है।
इसलिए क्योंकि यह दल अब नैतिकता को त्याग कर कूटनीति का प्रयोग करते हैं अपने मत को शासन शक्ति के प्रयोग का कारक बनाना चाहते हैं (अपने हितों के अनुसार देश की नीतियाँ बनवाना चाहतें है, न्याय, नैतिकता और जन-कल्याण की दृष्टि से नहीं)।

'राजनीतिकरण' का अर्थ हुआ भिन्न-भिन्न मतों/विचारों का प्रतिनिधित्व करते हुए दलों से सम्बद्ध हो जाना, और कूटनैतिक विधि(जैसे छल, असत्य, पाखण्ड, आपराधिक, भ्रष्टाचारी, अनैतिक) का प्रयोग करके अपने दल का प्रशासनिक शक्ति(स्त्तारूड़) प्राप्त करना।

उद्धाहरण का वाक्य : पुलिस का 'राजनीतिकरण' होना।
भावार्थ: पुलिस कर्मियों का अपने वास्तविक कर्तव्यों से विमुख हो कर किसी न किसी सत्ता प्रतिस्पर्धी दल से सलग्न हो जाना और कूटनैतिक पद्दतियों को प्रयोग करना, अथवा सहयोग देना, और फल स्वरुप अपनी पद्दोनति अपने सहकर्मी की उपेक्षा की कीमत पर प्राप्त करना।

अंग्रेजी भाषा का शब्द Realpolitik वर्तमान की स्थिति को दर्शाने के उपयुक्त शब्द हैं।

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