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Showing posts from October, 2023

Bicycle Riding, the Mastery Self-Test

Bicycle Riding The MASTERY Self-Test Try these manoeuvres on a bicycle and see for yourself if you can do them :- 1) what is the slowest speed you can balance a bicycle WITHOUT landing your legs.  You are allowed to do zigzagging for helping you keep the balance. 2) what narrowest gap you can pass your bicycle through, WITHOUT landing your legs even a single time  3) Can you use only one hand to hold the handle and continue riding , and doing rhe turns in the road 4) Can you ride WITHOUT holding the handle AT ALL  5) what is the fastest speed you can ride and THEN APPLY Brakes SUDDENLY, WITHOUT falling down, BUT allowed to land your legs? 6) Fastest speed you can do the turn in the road WITHOUT falling down, BUT allowed to land your legs? 7) can you follow a straight line/path while riding WITHOUT landing the legs, ? How close you can keep to the straight line ? Do not zigzag the bicycle. 8) and, can you continue on that straight path at the turn of the road ? 8) what is the narrowest ...

रस्मों रिवाज़ को जानना और पालन करना क्यों जरूर है

याद है, एक बारी मैं जब रात में बाथरूम करने के लिए उठा था, तब अचानक से चक्कर खा कर गिर पड़ा था। एक बारी तुम भी तो कोलxxx में xxxक्ष्मी के मंदिर में अचानक से गिर पड़ी थी, चक्कर खा कर। निxxx भी आज X ray करवाते समय अचानक से चक्कर खा कर गिर पड़ा था। ये सब ठीक नहीं, हालांकि ऐसा होना कोई अत्यंत गंभीर बात नहीं है। हमने कई बार अपने स्कूल के दिनों में बच्चों को चक्कर खार गिर पड़ते देखा है। कई कई बार मैने खुद भी चक्कर को महसूस तो किया हैं, मगर समय रहते ही संभल गए और तनिक ठहर गए, वही रुक गए, आसपास कही बैठ गए, या किसी चीज का सहारा ले कर टेक लगा लिया, गिरने से बचने के लिए। व्यक्ति को अपने खुद के भीतर के हालात को महसूस करने वाले तंत्र हमेशा सचेत रखने चाहिए और पूर्वाभास लेने को हमेशा तत्पर रहना चाहिए। यूं गिर पड़ना ठीक नही है। ये चक्कर आने के हालात भी यूं तो ठीक नहीं होते है, हालांकि कई सारे लोगो को ऐसा चक्कर का आ जाना कुछ खास हालातों में होता है, जिन आम हालातों के बारे में हमेशा जानकारी रहनी चाहिए। जैसे कि, किसी अंधेरे कमरे से अचानक से रोशनी में जाने पर चक्कर आ सकते हैं; या कि, ठीक उल्टा, अधिक रोशन...

क्यों हम भारतवासी अभी तक आने स्वाभविक चिंतन से एक राष्ट्र सूत्र में नहीं बंध सकें हैं

सच मायनों में हम सभी भारत वासियों को यूँ ही किसी बहती हवा ने या किसी आक्रमणकारी के डर ने धकेल के एक साथ ला खड़ा किया है, और इस भय के प्रकोप में हम लोगों ने बिना किसी आपसी समझ, एक दूसरे के स्संकृति के ज्ञान के बगैर, "बस, यूँ ही" हल्ला मचा मचा कर खुद को "भारतीय" कहना, पुकारना शुरू कर दिया था, और भारत नाम का एक "राष्ट्र" घोषित कर दिया है। जबकि, आज, social media के आने के बाद हमने एक दूसरे की संस्कृति का ज्ञान सांझा करके, एक दूसरे को जानना शुरू ह8 किया है, बस । अभी तो तमाम बखेड़े उठने बाकी है, इन नई नवेली जानकारियों में से और फिर उसके बाद में, इन ज्ञान कोष का हिसाब " बिठाया जायेगा कि कैसे, कहां पर इन ज्ञान को संतुलित करें, ताकि एक आम "भारतीय संस्कृति" को तैयार किया जा सके, जो हमें वाकई में एक "भारत राष्ट्र" की सही, संतुलित पहचान दे सके

Why most people despise those trying to take a higher moral ground

A large part of the population does not want to talk Morality. It does not like poeple who ask the moral questions, those questions which rise from Reflective Thinking,; people who ask the question to someone's Conscience, are abhored. Self Criticism is considered weakness by the majority of human beings. Why is that "trying to" take a "higher moral ground" considered a fault, a vice behaviour, and not an appreciated conduct? Why is it so? Why do the major chunk of human populace behave so? Think critically, the answer is easy to find. Large part of population is pressed to adandon Morality in course of their life struggle. So, they see a moral crusader as an oppressor of their soul. They hold a thought that such moral crusading persons are only being a hypocrite because a wider, unspoken truth would hold it that they too must be getting pressed , like all others, in their life to adandon Morality , and they must be doing so in the dark, secretly. ...

Stupefyingly humourous WU Post (S.H.WU.P)

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