वंशवाद कब , कहां हुआ है — इसको तय करने का मानदंड क्या होना चाहिए?

हीरो का बच्चा हीरो-हीरोइन क्यों नहीं बन सकते? क्रिकेटर का बच्चा क्रिकेटर क्यों नहीं बन सकता? राजनेता का बच्चा राजनेता क्यों नही बन सकता? क्या दिक्कत है? क्या किसी को किसी पेशे में जाने से रोकना मात्र इसलिए कि उसके पिता या पूर्वज पहले से उस क्षेत्र में नामी व्यक्ति थे,ये अपने आप में एक जातिवाद नही होता है? 

होता है , न?

तो फिर आखिर वंशवाद का मानदंड क्या रखना चाहेंगे आप? कैसे कहेंगे की भारत की उच्च न्यायपालिका में घोर जातिवाद/ब्राह्मणवाद होता है?

जवाब है — सार्वजनिक /अथवा सरकारी पदों पर, जहां नियुक्ति किसी भी प्रकार की चयन प्रक्रिया से करी जाती है, यदि वहां पर बार बार एक वंश के व्यक्ति पहुंच रहे हों, जबकि चयन प्रक्रिया में पिता या पूर्वजों को सेंघमारी कर सकने की संभावना खुली हुई हो, तब वो "वंशवाद" माना जाना आवाशयभावी हो जाता है।

Comments

Popular posts from this blog

समालोचनात्मक चिंतन का आभाव --भारतीय शिक्षा पद्वात्ति की मुख्य गड़बड़

The Orals

आकृति माप का सत्यदर्शन कर सकना भी बोधिसत्व प्राप्त करने के लिए आवश्यक होता है