शिक्षा प्राप्ति के दौरान व्यवहारिक नीत क्या होनी चाहिए?

कई सारे आधुनिक शिक्षकगण थोड़ा "व्यवहारिक (Practical)" हो कर बात करने लगे हैं, और वे लोग परीक्षा में उत्तीर्ण हों जाना उचित मापक मानते हैं, पढ़ाई लिखाई के उद्देश्य की सफलता पूर्वक प्राप्ति का। 

जीवन एक आर्थिक संघर्ष होता है, – की दृष्टि से वे लोग गलत नहीं हैं।

मगर ऐसी सोच रखने पर जीवन संघर्ष में केवल जी लेना और चुनौतियों को पार लगा लेना, दो अलग बाते बन जाती हैं। जीवन की चुनौतियों को पार करने के लिए "व्यवहारिक(Practical)" स्तर का ज्ञान चाहिए होता है — और जो पढ़ाई लिखाई के दौरान 'विषय की प्रखरता (Mastery of the subject)' को प्राप्त करने से आता है, सिर्फ exam में उत्तीर्ण हो जाने से नहीं।

सोचने का सवाल है कि —
1) आप "व्यवहारिक" किसे समझते हैं।
2) आप शिक्षा प्राप्ति के दौरान किसे अपना उद्देश्य मानेंगे— a) Mastery of the subject; 
    b) Passing the exam with excellent grades 

आगे, 
इस दोनो सवालों की गुत्थी हमे ये बताती है कि क्यों कई सारे लोग अच्छे grades वाली markssheet के बावजूद बेवूफ होते हैं, और कई सारे लोग विषय में बिना किसी उपाधि रखते हुए भी प्रखर विशेषज्ञ सुनाई पड़ते हैं।



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