आरक्षण नीति भेदभाव से लड़ने की खराब युक्ति होती है
भेदभाव से लड़ने का तरीका आरक्षण कतई नहीं है।
शोषण किये जाने वाली सोच तो शोषण की भावना को मन में बसाने का आमंत्रण होती है।
शोषण क्या है?
शोषण वास्तव में attitude होता है life के प्रति। अगर आप सोचने लगेंगे की आपके संग शोषण किया जा रहा है, तब वाकई में आपको शोषण लगने लगेगा। दुर्व्यवहार और भेदभाव सभी इंसानों को झेलना होता है जीवन में। मगर समझदार व्यक्ति इससे लड़ कर उभर जाते है। जो शोषण को भेदभाव से जोड़ लेते हैं, वह कदापि उभर नही सकते। और जो आरक्षण में इसका ईलाज़ ढूंढते है, वो तो कदापि शोषण से बचने की सद युक्ति नहीं कर रहे होते हैं।
तो शोषण से बचने का सही मार्ग क्या होता है?
सही मार्ग है शक्तिवान बनना। आरक्षण आपको शक्तिवान नही बनाता है, केवल शासकीय शक्ति वाले पदों तक पहुँचाता है।
तो फ़िर शक्तिवान कैसे बनते है?
बाधाओं से उभर कर।
और बाधाएं कौन सी होती है?
भेदभाव वाली बाधाएं। रास्ते में अड़चन लगाए जानी वाली बाधाएं।
कौन लगाता है बाधाएं? रास्ते में अड़चन कौन लगाता है और क्यों?
आपके प्रतिद्वंदी जो कि शक्तिवान होने की स्पर्धा में आपके समानान्तर दौड़ रहे होते हैं।
वो ये बाधाएं मिल कर समूह गत हो कर युक्तियों से लगाते है।
तो वास्तव में भेदभाव अंतर- समूह द्वन्द होता का फल होता है। जो समूह शक्तिवान होने की स्पर्धा हार जाता है, वही भेदभाव का शिकार होता है, और वही शोषण भी झेलता है।
क्यों कोई समूह परास्त होता है?
जब कोई वर्ग आपसी द्वन्द से ग्रस्त रह कर उभर नही पाता है, तब वह परास्त होने के मार्ग पर प्रशस्त हो जाता है।
आपसी द्वन्द से कैसे उभरे?
कुछ नियम बना कर। शिष्टाचार के नियम।
और भेदभाव की अड़चनों से उभरे हुए, निर्विवाद, सर्वमान्य विजेताओं को पैदा करके। ऐसे विजेता, प्रत्येक क्षेत्र, प्रत्येक जगह पर जिन्हे टालना असंभव हो जाए। जिनकी विजय को भेदभाव करके भी दबाया न जा सके।
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