बौद्ध इंसान को instinctive व्यवहारों को तलाशने के लिए प्रेरित करता है

 छोटे बच्चों पर नज़र रखना ज़रूरी होता है की कहीं वो खुद ही अनजाने में आपस में "गन्दी बात" या "गन्दा काम" करना न शुरू कर दें!

ऐसा क्यों? 

क्योंकि वास्तव में ये सब instinctive भी सकता है , ज़रूरी नहीं कि कहीं, किसी ख़राब फ़िल्म या फोटो को देखने से ही आये। 

इस नज़र से ये बात समझ आती है कि  माता-पिता को अपनी बच्चों को 'गन्दे काम' से बचाने के लिए न सिर्फ ज्ञान को रोकना होता है , बल्कि रोकते समय यह भी ध्यान रखना होता है कि कहीं उनकी मनाही का तरीका ही बच्चों में "बौद्ध" नहीं जगा दे , यानि उनके instinct को जागृत कर दे, और वो curious (जिज्ञासु ) हो जाये उसके प्रति ! और यदि ऐसा हो गया तब बच्चों को लग जायेगा कि कहीं कुछ तो है जो उनके मातापिता उनसे छिपा रहे हैं, और वो नहीं चाहते है की बच्चों को उसके बारे में पता चले ! ये जिज्ञासा बच्चों को वापस उस "अनजान' 'गन्दी' चीज़ की तलाश की तरफ खुद-ब-खुद ले जाएगी, वो भी माता पिता से छिप छिप कर। 



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