अखिलेश जी का समाजवाद
05/12/20
अखिलेश जी को सोच थोड़ा सा adjust करना होगा। शायद उनको पहले से ही एहसास हो।
कि, गरीब होना कोई उपलब्धि नही होती है, बल्कि बेवकूफी की निशानी है।
अगर कोई मज़दूरी कर रहा है, तो यह उसकी जीवन निर्णयों की बेवकूफी है।
फिर ऐसे व्यक्ति या समूह के "हितों की रक्षा" के लिए राजनैतिक संघर्ष करना कोई अधिक समझदारी नही होती है।
वास्तविक समस्या ये नही है कि गरीब को क्या मिला सरकार से, या कि सरकार गरीबों की परवाह नही करती है।
अगर कोई मज़दूरी कर रहा है, तो यह उसकी जीवन निर्णयों की बेवकूफी है।
फिर ऐसे व्यक्ति या समूह के "हितों की रक्षा" के लिए राजनैतिक संघर्ष करना कोई अधिक समझदारी नही होती है।
वास्तविक समस्या ये नही है कि गरीब को क्या मिला सरकार से, या कि सरकार गरीबों की परवाह नही करती है।
वास्तविक समस्या है कि वो गरीब क्यों है, उसने जीवन निर्णयों में क्या कमियां दिखाई, और अब समाज और प्रशासन उनके "उत्थान" (=जीवन-निर्णयों में हुई गलतियों की पहचान करना, और सुधार के अवसर देना ) के लिए क्या कर सकता है।
गरीब को रोटी खिलाना उसकी सहायता करना नही होता है। क्योंकि ऐसे में वह और अधिक पर निर्भरता ग्रस्त हो जाता है।
असली सहायता होती है उनको गरीबी से निकालना। ये मुश्किल काम होता है।
मगर लक्ष्य मुश्किल कामो के ही साधे जाते है।
सामाजिक और धार्मिक पर्यावरण में बदलाव लाने होंगे। शिक्षा नीति में बदलाव लाने होंगे। प्रशासन में बदलाव लाने होंगे, जिससे गरीबी को नष्ट किया जा सके।
सामाजिक और धार्मिक पर्यावरण में बदलाव लाने होंगे। शिक्षा नीति में बदलाव लाने होंगे। प्रशासन में बदलाव लाने होंगे, जिससे गरीबी को नष्ट किया जा सके।
गरीब के लिए ट्रेन में मज़दूरों, कुली का काम, ac की सफाई, या बिना ac की सस्ते डिब्बों की ट्रेन चलवाने की मांग जमती नही है।
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