विश्वास : ज्ञान ::: सागर : भूभाग

विश्वास और ज्ञान के बीच का सम्बन्ध ऐसा ही हैं जैसा की सागर और भूभाग का। विश्वास सागर के जैसा विशाल और अथाह है। जबकि ज्ञान भूभाग के समान संक्षित, सीमित और बिखरा है। जैसे प्रत्येक भूखंड भी किसी तरल सागर के ऊपर तारित है, वैसे ही जो कुछ ज्ञान उपलब्ध है, उसके भी गर्भ में कुछ विश्वास और मान्यताएं ही हैं। इस प्रकार विश्वास परम आवश्यक और सर्वव्यापी है।
    मगर मानव जीवन का सत्य यह है की भगवान ने मानव को भूखंड पर जीवन यापन करने के लिए ही बनाया है, सागर में नहीं। बस, यही सम्बन्ध मनुष्य का विश्वास और ज्ञान के साथ भी है। चिंतन और निर्णय हमें ज्ञान के आधार पर ही लेने होते हैं, विश्वास के आधार पर नहीं। भले ही ज्ञान सीमित है। संक्षित है। और भले ही उस ज्ञान के केंद्र में भी कुछ विश्वास और मान्यताएं होती हों।
    जैसे आदि काल के नाविक सागर की यात्राएं बिना आगे का मार्ग को जाने, किसी नयी भूमि की तलाश में खतरों से झूझते हुए किया करते थे, और जैसा की आज भी अंतरिक्ष अनुसंधान में हो रहा है, ...-
    ...- मानव जीवन का एक उद्देश्य निरंतर ज्ञान की तलाश करते रेहाना है....
   क्योंकि केवल विश्वास के आधार पर जीवन बसर करने के लिए इंसान बना ही नहीं है।

Comments

Popular posts from this blog

About the psychological, cutural and the technological impacts of the music songs

विधि (Laws ) और प्रथाओं (Customs ) के बीच का सम्बन्ध

गरीब की गरीबी , सेंसेक्स और मुद्रा बाज़ार