बनारस और वर्तमान भारतीय संस्कृति की अशुद्धियाँ
बनारस नाम संभवतः वानर अथवा बानर मूल शब्द से आता है , जिस जीव को हम वर्त्तमान में बन्दर कह कर बुलाते हैं। यह शहर बंदरों से भरा हुआ था और उनके शरारतों से गूंजता है , और शायद इसलिए कुछ लोगों ने इस शहर को बनारस नाम दिया था। बन्दर इस शहर के आराध्य देव हनुमान जी का प्रतीक होता है और यहाँ शहर में हनुमान जी का एक प्राचीन संकट मोचन मंदिर स्थापित है। कहते हैं की गोस्वामी तुलसी दास जी ने रामायण का अपना संस्करण इसी मंदिर के प्रांगण में लिखा था जो की हनुमान जी ने उन्हें स्वयं सुनाया था ।(हिन्दू मान्यताओं में हनुमान जी एक अमर देव हैं)। हनुमान जी को भगवान् शंकर का ही एक रूप माना जाता है, और आगे भगवान् शंकर और काशी (बनारस का वैदिक काल का नाम) का रिश्ता तो सभी को पता होगा। (बनारस से आये देश के बहोत बड़े संगीत शास्त्री, स्वर्गीय उस्ताद बिस्मिल्लाह खान साहब का मानना था की बनारस नाम पान के रस से उत्पन्न हुआ है , क्योंकि यहाँ का पान बहोत प्रसिद्द है |) मौजूदा बनारस को मैं स्वयं एक पागल युवक के माध्यम से समझने की कोशिश करता हूँ जिसने चंडीगड़ शहर में सन 1995 में घटी एक लड़की रुचिका ...