टीम अन्ना के राजनीति में आने में लोगो को दिक्कत
टीम अन्ना के विघटन के बाद राजनीति में आने में कई लोगो को दिक्कत है / मगर राजनीति में आने में ऐसी क्या दिक्कत हो सकती है ? तमाम वजहों में एक वजह यह है की राजनीति शब्द की सामाजिक छवि ही गन्दी है / साधारणतः "राजनीति" शब्द को एक पाठशाला का विषय के रूप में समझा जाना चाहिए , जिसमें लोक-प्रशाशन से सम्बंधित नीतियों का निर्माण होता है/ आधुनिक , 'प्रजा-तांत्रिक' लोक-नीतियों में यह एक बहोत ही जटिल विषय होता जिसमे की बहुत उच्च बौधिक क्षमता के व्यक्तियों को आना चाहिए था/ मगर शाशन और सत्ता से मुग्धा 'ज़मींदारी' मानसिकता के 'दबंग ' और 'बाहुबली" लोगों ने इस क्षेत्र में कब्ज़ा कर लिया है / नतीजतन, इसलिए अब आम-जनता की समझ में "राजनीती' का मतलब "यथार्त राजनीति" (Realpolitik ) (अर्थात " तुरंत-लाभ व आत्म-लोभ की युक्ति " )होता है / "यथार्त राजनीति " में कोई भी मूल्यों व आदर्शों का पालन नहीं किया जाता / इसमें मकसद केवल सत्ता प्राप्त करने का होता है , 'प्रजातंत्र" को "ज़मींदारी (सामंत वादी ) शाषन प्रडाली " से भ्रमित करते हुए / आम जनता की समझ अब राजनीति और "यथार्थ की राजनीति" में भ्रमित हो चुकी है , शायद इसलिए राजनेति में आचे लोगो का आना उच्चित नहीं माना जाता / या यों कहें की , अगर राजनीति में 'टीम अन्ना' नें आने की मंशा जताई है तोह शायद अन्ना के लोग भी गंदे लोग थे जो राजनीति में आने के लिए ही इस "इमानदारी " के "भ्रस्टाचार-विरोधी" आन्दोलन का डोंग कर रहे थे /
लोग क्यों टीम अन्ना को राजनीति में उतरते नहीं देखना चाहते, इसकी दूसरी वजह यह भी हो सकती है की राजनीति में आने का अभिप्राय होता है "जल में घुस कर मगरमछ से भिडंत करना" / यहाँ अच्छे लोगों की हार तय होती है , क्यों की "अच्छे लागों" से अभिप्राय ही यह होता है की यह व्यक्ति-वर्ग नियम व आदर्शो का पालन करेगा, राजनीति (असल में "यथार्त की राजनीति" ) में सब कुछ जायज़ माना जाता है, प्रेम और युद्ध में सभी-जायज़ से भी ज्यादा / यानी, एक प्रतिद्वंदी जहाँ नियम से लड़ाई करेगा, दूसरा बिना नियम के हमला कर सकता है / अगर पहले ने कोई नियम तोडा तोह उसकी सामाजिक छवि को धक्का लगेगा की यह "अच्छा व्यक्ति" तो पहले से ही ऐसा "नियम-तोड्दु" था, और "अच्छा" होने का केवल डोंग कर रहा था / दरअसल भ्रस्टाचार के राक्षस की यह प्रकृति है की वह हमेशा अच्छे लोगों को चुनौती देता है, और जब अच्छे लोग उसकी चुनौती स्वीकार कर बैठते है तब वह नियम-विहीन राक्षस उनको जान से ख़तम कर देता है, या उनको नियम का उल्लघन पर मजबूर कर उनकी "नैतिकता के मनोबल' को ख़तम कर देता है / धन, धर्म, और जाती के आधार पर करी जाने वाली आधुनिक "यथार्त की राजनीति "में किसी भी आदर्श-वान व्यक्ति की जीत आसान नहीं है / पहले तो प्रजातान्त्रिक राष्ट्र में "व्यक्तव्यों की स्वतंत्रता " से बुने भीषण भ्रम और मायाजाल में खुद को आदर्श-वान व्यक्ति होने की आम-राय बनाना भी एक चुनौती है /
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