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Showing posts from November, 2024
हिंदू धर्म में लगे अंतरात्मा के रोग
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हज़ारों वर्षों से भी अधिक पुरानी सनातन परंपरा ऐसा नहीं है कि इतने वर्षों तक यूं ही रोग मुक्त हो कर पनप गई। धर्म क्योंकि इंसान की अंतरात्मा को प्रभावित करता है, इसलिए धर्म पर लगे रोगों को "अंतरात्मा के रोग" करके पुकारा जा सकता है। हिंदू धर्म, यानी सनातन परंपराओं एक संग्रह, इनमें ऐसे बहुत से रोग लगते रहे हैं इसके हजारों सालों के अस्तित्व में। ये रोग सिर्फ ये नहीं थे कि इन परम्पराओं के संग्रह ने इस्लाम, ईसाई धर्म, और बाकी कितनों ही धर्मों के प्रभावों को अपने में समा लिया। बल्कि, मैं अंतरात्मा के रोगों की बात कर रहा हूं, जब इंसान तर्क और कुतर्क के मध्य भेद करने की बौद्धिक सामर्थ्य ही खो बैठता है। वह सत्य, न्याय और ईमानदारी के मूलभूत विचार को सीधे से एक बेकार, बेमतलब की बातें मानने लगता है। भारत भूमि पर कुतर्को ने अपनेआप में एक नया धर्म होने का अधिकार तक ग्रहण कर लिया, इस कदर हमारी संस्कृति में अंतरात्मा के रोग लगते रहे हैं। C@#V विचारधारा,और इससे जन्मे Jbxd धर्म देखिए कभी। मध्यकाल, करीब 15वीं सदी के युग में भारत की छवि ठगो के देश की थी। Thugs of hindostan/ Orient बड़ा कुख्यात व...
कौन सा वर्ग था वह जो कि हिंदू मंदिरों को बादशाह अकबर के आतिथ्य से जोड़ता था
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आजकल, हिंदुत्ववाद की क्षय प्राप्त करके बहुत सारे पंडित लोग -ये मिश्रा, पाठक, पाण्डेय, तिवारी त्रिपाठी लोग— पोल खोल में लगे हैं , तमाम "झूठ से पर्दा उठाने में लगे हैं " कि, — कैसे देश की जनता को "झूठ" बताया गया था, (कांग्रेस सरकार के जमाने में ), ये जो देश भर के कई सारे मंदिरों से जुड़ी जो बादशाह अकबर वाली कहानियां है ——वो सब कहानियां झूठी और मनगढ़ंत है। कहानियाँ, जैसे कि, कैसे एक बार बादशाह अकबर जब उस फलाना मंदिर आए था, तब मंदिर के देवता के प्रकोप से क्या अचरज वाली जादुई घटना घटी थी, जिससे भक्तिभाव से श्रद्धालु हो कर बादशाह अकबर ने उस फलाना मंदिर का निर्माण करवाया था, अथवा कितनी बड़ी जमीन दान कर दी थी, अथवा कितना ढेर सारा सोना चढ़ाया था। तो आजकल पण्डित लोग बताने लगे है कि ये सब कहानियां झूठ है, और आरोपित तौर पर, कांग्रेस पार्टी की फैलाई गई मिथक है, secularism को फैलाने की मंशा से। हो सकता है कि पंडितों (मिश्राओ, पाठक, पाण्डेय, तिवारी त्रिपाठी लोग) की तथ्यिक बात सही हो, कि बादशाह अकबर वाली कहानियां फर्जी थी, और सच में अकबर कभी उस मंदिरों में नहीं गया हो, मगर सव...
The Value of Truth in Our Daily Lives
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The Value of Truth in Our Daily Lives Every person is born with a certain amount of ego. Ego is essentially a reflection of the temperament of our minds, shaped by the knowledge we gain, the information we access, and the wisdom we derive from these experiences. In this way, ego is closely related to knowledge. Contrary to popular belief, ego is not inherently bad; rather, it is an essential part of our survival mechanism. The irony, however, lies in the fact that no two people's egos are exactly the same. Each individual has a unique ego, shaped by their own experiences and perceptions. This leads to the problem that every story has many sides. For convenience, wise people often say that every story has three sides: yours, theirs, and the truth. Yes, there is a third side—the truth—which is often so abstract and idealistic that few people can grasp it in its pure form. It is only through the collective wisdom of learned scholars that the truth can be shaped and understood through...