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दुर्घटना से सुरक्षा पर एक मौलिक चिंतन

दुर्घटना से सुरक्षा पर एक मौलिक चिंतन (स्कूल के दिनो मे पाठ्यक्रम में पढ़ाई  गई किसी कहानी की धुंधली सी स्मृति पर आधारित) लेखक के राशिफल में आज लिखा हुआ था कि उसके संग कोई दुर्घटना घट सकती है । लेखक सुबह उठते ही अखबार में अपना राशिफल पढ़ता था, और उसके अनुसार अपनी दिनचर्या की योजना करता था। अब आज वो सुबह से ही परेशान था कि उसके संग घटने वाली दुर्घटना से बचने के लिए वह क्या कर सकता है। रोज सुबह तो वह तैयार हो कर ऑफिस के किए निकल जाता था। मगर आज सोचने लगा कि ऑफिस जाऊं , कि नहीं। कहीं रास्ते में कोई अमीरजादे की सरपट दौड़ती कार उसे ठोकर मार गई, तो? कहीं कोई स्मगलिंग का सामान ले जा रहा ट्रक पुलिस से बचने के चक्कर में तेज दौड़ाते हुए उसे कुचल कर निकल गया, तो? कहीं कोई सरपट दौड़ती स्कूटर उसके बगल से निकली, जिसके हवा के झौंके में उसकी पतलून फंस गई और स्कूटर वाला उसे घसीटता हुआ आगे ले गया, जिससे उसके सर पर चोट लगी, आघात हुआ और वह मर गया , तो? लेखक ने सोचा कि सबसे सटीक तरीका किसी दुर्घटना से बचने का, बस यह है कि घर के बाहर ही मत निकालो! ये सोच कर वह वहीं पास में रखे सोफे में ठप्प करके बैठ