क्यों ये देश हमेशा वास्तविक उद्योगपति से रिक्त बना रहेगा और विदेशी कंपियों के द्वारा लूटा जाता रहेगा
जैसा की मैं हमेशा से बताता आय हूँ,
भारत में "उद्योग पति" के नाम पर वास्तव में सिवाए "मारवाढ़ी गिरी " के कुछ नहीं है , - वो सामुदायिक परिवार के लोग जो की बड़े स्तर पर परच्युन की दुकान चलाते हैं , बिचौलिया-दलाली के धंधे के कमाई करते , और कुछ नहीं।
और अक्सर करके अपने राजनैतिक -बाबूशाही संबंधों का फायदा ले कर monopoly जमा लेते, समाज को कंगला कर देते हैं।
भारत में वास्तविक कौशल कामगार professional (व्यवसायी) नहीं होता है , जो की उद्योगिक जोखिम ले, मुद्रा बाजार से सार्वजनिक धन को ले कर नवीन , अनजाने क्षेत्र में किसी अनदेखे , अनसुने उद्योग की नीव डाले और समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाते हुए कामयाबी के शिखर तक पहुँच जाये।माइक्रोसॉफ्ट का बिल गेट्स खुद एक कंप्यूटर इंजीनियर कौशल कामगार (पेशेवरिय कंप्यूटर professional ) है, और अपना उद्योग ऐसे क्षेत्र में (कंप्यूटर जन्य सॉफ्टवेयर उत्पाद सेवा ), वो भी तब जमाया था जब कोई भी उस क्षेत्र मे नहीं था। ये पूरा अनजान और अनसुना-अनदेखा क्षेत्र था जिसमे कोई भी उद्योग था ही नहीं ।
जेफ़ बेज़ोस (amazon ) का मालिक , ने अपना उद्योग internet आधारित दुकान के क्षेत्र में बनाया है , जहाँ की अभी भी बहोत रिक्त बना हुआ है उद्यम करने वालों के लिए। पूरी तरह से नवीन तकनीक, संसाधनों को विक्सित करके उद्योग को ढांचा दिया है , एकदम आधारभूत तिनके-तिनके से संसाधनों को एकत्र करके जोड़ना आरम्भ करते हुए । पेशेवरिया शिक्षा से कंप्यूटर इंजीनियर स्वयं भी है।
मगर अब परिचय करते हैं भारत के धन्ना सेठ से ,-
श्रीमान जी पेशेवरिय शिक्षा से "10वी पास " भी नहीं है। पूरी तरह से राजनैतिक जोड़ -जुगत लगाने में माहिर हैं। अपने अशिक्षित , स्कूली शिक्षा से नदारद परम मित्र मोई जी के राजनैतिक हेंकड़ी गिरी से प्राप्त, और बहोत बेशर्मी और पक्षपात से मिले संसाधन से अपना उद्योग बसाया है। आर्थिक-आपराधिक घोटाला कहलाये जाने वाले बैंक loan 'सहयोग' से एक monopoly बसाई है , अपने समुदाये के पारम्परिक धंधे - परचूनी बेचने के क्षेत्र में।
-- wilmar कंपनी की सहायता से अनाज-गल्ला को खरीद फरोख्त करने के दौरान बिचौलिया-गिरी का ज़बरदस्ती फायदा बनाया है , और जिसमे की वास्तव में सीबीआई जैसी investigation संस्थाए बता रही है की देश के अहित में आर्थिक अपराध हुए है बिचौलिया फायदा बनाने के खातिर।
पोर्ट बनाने के क्षेत्र में भी राजनैतिक सम्बन्ध का फायदा लेते हुए मुफ्त में सार्वजनिक जमीन हड़पी है , और फिर सार्वजनिक सरकारी नियंत्रण वाले बैंको से राजनैतिक समबधों के जुगत से लिए गए loan से port बनाया , और फिर वापस राजनैतिक संबंधों की जुगत से अन्य सार्वजनिक सरकारी नियंत्रण वाले पोर्ट को भीतर में से बर्बाद करके उनका कारोबार खुद में हड़प लिया !
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