चाय वाला और भारत का संविधान

एक क्ष्रेष्ठ संविधान की खासियत यह नहीं  है की एक चाय वाले को प्रधामंत्री बना देता है ; क्ष्रेष्ठ संविधान की खासियत यह होती है कि वह चाय बेचने या किसी भी छोटे कामगार के व्यक्ति को भी जीवनयापन आवश्यक उसके शिक्षा , भोजन  के वह अधिकार दिलवा सके कि प्रत्येक व्यक्ति मानसिक,नैतिक, बौद्धिक सक्षम हो जाये की बड़ी आबादी और क्षेत्रफल देश का सम्मानित प्रधानमंत्री बन सके ।

मात्र चायवाले का प्रधानमंत्री बन जाना वह भी बिना क़ाबलियत के ,  यह तो संविधान की विफलता का प्रमाण है  की असामाजिक मानसिकता वाले गुंडे,  या फिर शिक्षा विहीन वाले अशिक्षित , असक्षम लोग देश के ऊँचे पदों पर सवार हो जा रहे हैं ।

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