"typical UP-type of an answer" का मसला क्या है ?

 "typical UP-type of an answer" का मसला क्या है ?



बजट के उपरांत पत्रकार सभा के संग वित्त मंत्री के प्रश्नोत्तर काल के दौरान एक पत्रकार महोदय ( श्री आनंद, इंडिया टीवी से ) ने सवाल किया था की बजट पर विपक्ष के नेता रहल गाँधी जी की जो प्रतिक्रिया है -- कि यह है zero sum  बजट है (यानि बकवास, व्यर्थ बजट है आम आदमी के हितों के मद्देनज़र )-- तो कैसे पता चलेगा की राहुल को यह बजट समझ में नहीं आया है, या राजनीती के चलते, बस यूँ ही, आलोचना करने की duty कर दी है ?

विश्लेषण :-

इस वाले प्रश्नोत्तर के दौरान प्रत्रकार  सवाल कर्त्ता  ने वास्तव में खुद ही "राजनीती"(कूट आचरण ) करि है, जब उसने अपने सवाल में "विकल्प" को डाल कर निर्मला जी से प्रश्नन किया है।  विकल्प धारक प्रश्नों में जवाबकर्ता के विचार और ज़बान को पहले से ही बांध दिया जाता है कि वो विशेष दिशा में ही खोज करे जवाब को !  सवाल करने की ये शैली , ये आचरण, अपने आप में ही "कूटनीति " है पत्रकार की !!


बरहाल, आगे क्या हुआ   .... 

इस प्रश्न का जवाब वित्त मंत्री सुश्री निर्मला सीतारमण जी ने देने का प्रस्ताव दिया श्री पंकज चौधरी , उप राज्य मंत्री, को। शायद इसलिए क्योंकि सवाल हिंदी भाषा में उठाया गया था जिसमे निर्मला जी इतनी दक्ष नहीं है।  और सवाल राहुल गाँधी से सम्बंधित था , श्री चौधरी यूपी से आते है , गोरखपुर जिले से।  

पंकज जी ने जवाब में आसान वाला विकल्प चुना कि, 'राहुल गाँधी को बजट समझ में भी आता है, क्या?' ।

इसके बाद निर्मला जी ने इसी प्रश्न पर अपनी भी प्रतिक्रिया दी , अंग्रेजी भाषा में। इसके दौरान उन्होंने कहा , "typical UP-type of an answer"

 विश्लेषण :-

गौर करें कि निर्मला जी की प्रतिक्रिया का सन्दर्भ श्री पंकज चौधरी के जवाब से बनता है, न कि राहुल गाँधी से और न ही पत्रकार से ! सत्य शब्दों में , यदि किसी का अपमान हुआ है कि वो 'यूपी type'  है , तब वो श्री पंकज चौधरी ही है --  निर्मला जी का अपना खुद का पार्टी अवर सहयोगी, व  मंत्री !!


'UP-type'  से क्या अभिप्राय हो सकता है निर्मला  मस्तिष्क में ?

शायद ये, कि यूपी वाले 'वैसे भी'(a presumed idea) बौड़म होते है ।  उनकी सोच और उनके शब्द स्पष्ट नहीं होते है -- सुनने वाले के मस्तिष्क में स्पष्ट तरह से कोंधते नहीं है, केंद्रीय बिंदु पर। शायद निर्मला जी के मन में जो छवि है यूपी वालों के प्रति, उसके अनुसार यूपी वालों की बातों में केंद्रीय बात को पकड़ सकना मुश्किल होता है। यूपी वाले लोग अपनी हिंदी भाष्य संवाद को अजीबोगरीब, बड़े-बड़े शब्दों से सजावट करने में इतना अधिक व्यसन करते है कि अपने मन के विचार, उसके केंद्रीय तर्क को बातों में प्रस्तुत करना भूल ही जाते है।   तो फिर श्री पंकज चौधरी ने जो कुछ भी उत्तर दिया था, चूंकि वो भी यूपी के ही है, तो फिर उनका जवाब भी वैसा ही अस्पष्ट , 'गोलमटोल' , क़िस्म का है।  (और जो की राहुल गाँधी जैसे विपक्ष नेता के लिए उचित जवाब मान लिया जाना चाहिए। )

'गोलमटोल' से अभिप्राय है , फिल्म Munnabhai MBBS के एक डायलॉग की की भाषा में , ---  round  round  में जितनी भी बात कर लो, मगर centre  की बात ही अंत में मांयने रहती है, जिसको अक्सर कहना ही भूल जाते है यूपी वाले अपनी बातचीत के दौरान !

Comments

Popular posts from this blog

विधि (Laws ) और प्रथाओं (Customs ) के बीच का सम्बन्ध

गरीब की गरीबी , सेंसेक्स और मुद्रा बाज़ार

राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ और उनकी घातक मानसिकता