Posts

Showing posts from March, 2020

Narcissism and our Intellectual growth deficiency

Narcissism is the basic source of obstruction in our brains, which is causing the failure to understand the laws and the political sciences in a correct and balanced way. What the Narcissism is causing is to create prejudiced thoughts within us, which, in turn, is causing a pre-meditative mindset. The pre-meditative mind is refusing to agree and to accept the simplest of rational and common sense argument which maybe arising from the opposite party. That is how the smack of Narcissism is detected out basically. The Narcissism is a " software fault " of Human brain, where the AUSTIM is the HADWARE FAULT. These both refer to SELF-CENTREDNESS , the Narcissism being described in the milder terms as SELF-LOVE AUSTIM is a neuropathic problem, whereas Narcissism is psychopathic . In Austism, you visit a neurologist . It is an early child development problem. Narcissism generally travels into adulthood as well as old age , as the personality disorder is not yet a ful...

कोई क्यों बने विज्ञान-संगत? आख़िर क्या आत्म-सम्मानजनक दिया है विज्ञान ने , लोगों को?

भारतीय समाज शुरू से ही मूर्ख और बौड़म रहा है। इसके कई कारण है। जिनमें कि एक बड़ा कारण यह है कि यहां का अध्यात्म , यानी भारतीय समाज का आध्यात्मिक परिवेश ही ऐसे लोगों की कब्ज़े में है जो कि इच्छित नही है कि भारतीयों की बुद्धि का विकास हो सके।  दरअसल, भारतीय समाज वैसे तो ब्राह्मण विरोधी होने के लक्षण दिखाता है, मगर वास्तव में यह सब झगड़ो और विवाद के बाद शाम को घर लौट कर ब्राह्मणवाद के दरवाज़े पर ही सुस्ता कर सो जाता है। ऐसा क्यों?  क्योंकि ब्राह्मण वाद के मुखर विरोधियों ने कुछ अन्य विकल्प नही दिया है भारत की जनसंख्या को किसी और के दरवाज़े जा कर अपना ग़म , अपने भावुक हालातों को सामना कर सकने के लिए। जब इंसान बीमार पड़ता है, तब आधुनिक विज्ञान से उपलब्ध चिकित्सा इतनी अधिक महंगी पड़ती है कि आम आदमी उसके व्यय को झेल ही नहीं सकता है। फिर वह मज़बूरन आयुर्वेद, योग, आत्म नियंत्रण, भोजन परहेज़, यूनानी, वैध जी, हाक़िम जी, के दरवाज़े जाने को आ पड़ता है। खुद ही सोचिये, कोई इंसान किस मुंह से विज्ञान समर्थक बनेगा, जागरूक होने में आत्मसम्मान देखेगा, जब की शाम को उसे इन्हीं मूर्खों के दरवाज़ों से ही सहायता मिलनी होगी। य...