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Showing posts from March, 2015

वर्चस्व की जंग में सत्यधर्म से समझौता

कभी कभी वर्चस्व की लड़ाई ऐसे भी करी जाती है की मनुष्य सत्यधर्म का पालन तो करने की इच्छा रखता है, मगर एक सोची समझी रणनीति के अंतर्गत सत्यधर्म को तब तक अस्वीकृत करता रहता है जब त...

तर्कों पर आधारित न्याय एक खुल्ला न्यौता है मूर्खता को सर्वव्यापक बनाने का

किसी भी राष्ट्र के लिए दुखद स्थिति तब आती है जब उसका पढ़ा लिखा बुद्धि जीवी वर्ग ही इतना अयोग्य हो जाता है की उचित और अनुचित के मध्य भेद करने लायक नहीं रह जाता है।   राजनीति के प...