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The long rope theory of discriminating

The long rope theory of discriminating भेदभाव और असमानता इंसानी समाज मे हमेशा से चलते चले आये हैं। इंसानी समाज आपस मे प्रतिस्पर्धा करते हैं और हर समाज खुद को दूसरे से बेहतर साबित करवाना चाहता हैं । इसी इंसानी प्रवृति ने दुनिया भर में सामंतवाद को जन्म दिया, रंगभेद करवाये, अन्तरसमुदायिक कलह करवाई, जातिवाद करवाया। हालांकि प्रजातंत्र के क्रमिक विकास में भेदभाव का विरोध और समानता की लालसा भी एक अंश रहा हैं, मगर फिर भी प्रजातंत्र पूरी तरह सफल नही हो पाए हैं। असमानता और भेदभाव आज भी किया जाता है। प्रजातांत्रिक न्याय व्यवस्था में प्रशासन को जहां rule of law से चलना होता है, फिर भी भेदभाव की नवयुग पद्धति का भी क्रमिक विकास हो गया है।  प्रजातांत्रिक प्रशासन प्रणाली में भेदभाव करने की नई पद्धति कुछ इस तरह से है :-- The long rope theory of discriminating प्रशासन और न्यायव्यवस्था में जिसका वर्चस्व है, वह अपने पसंदीदा लोगों को उनकी गलतियों , अपराधों और नियम उलंघनों को अनदेखा करता रहता हैं। गलत तौर तरीकों से लाभ कमाने का मौका दिया जाता है, प्रशासन को ढील दे कर। मगर वही पर अ