महा धूर्त पॉलिटिशियन के लिए एक आईडिया

भाई ,
एक आईडिया आया है की कैसे कोई कुटिल , महा धूर्त पॉलिटिशियन जनता से आने वाले सुधार के प्रेशर को तोड़ सकता है ।
1) सबसे पहले तो बिगड़ी हुई एक व्यवस्था की नीव डालिए , उसमे सुधर की गुंजाइश की उम्मीद डलवा कर ।
२) अगर कोई आपत्ति भी ले की इस तंत्र में इतनी  गलतियाँ हैं , तब उनको यह झंसन दीजिये की देखो इसमें सुधार की गुंजाईश हैं । भविष्य में धीरे धीरे इसे हम दुर्सुत कर देंगे ।
३) फिर जब समयकाल में महंगाई इतनी बढ़ा दो की जनता को प्रशासनिक सुधार मांगने का समय ही न मिले । अगर कोई समय निकालने की कोशिश करे तो वह भूखा मर जाये , महंगाई से । वरना वह भ्रष्टाचार करने के लिए मजबूर हो जाये , और फिर जब खुद भी हाथ काले कर ले तब उसका कलेजा ही न बचे की वह सुधार यह इमानदारी के लिए कोई जंग लड़ सके ।
४) फिर धीरे धीरे लोगों को आईडिया दो की गलत को खत्म करने के लिए गलत का सहारा लेना ही पड़ता हैं । इस आईडिया पर कुछ और लोग कुछ न कुछ गलत करके अपना ज़मीर गिरवी रख देंगे और फिर ठन्डे पड़ जायेंगे ।
५) एक आध बार गलत तरीके से सही काम भी कर दिया करो , जिससे की बाकी बाख सिविल सोसाइटी भी टूट जाये की गलत तरीके से यदि सही काम करें तो गलत क्या है । इससे सही और गलत तय करने के मानदंड ही ख़त्म हो जायेंगे और सिविल सोसाइटी आपस में भी लड़ने लगेंगी ।
६) अब कुटिल , धूर्त पॉलिटिशियन की जीत सुनिश्चित है , उस देश में उसका ही सिक्का चला करेगा ।

Comments

Popular posts from this blog

The Orals

Why say "No" to the demand for a Uniform Civil Code in India

About the psychological, cutural and the technological impacts of the music songs