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Showing posts from November, 2015

अरुंधति रॉय भी इसे ब्राह्मणवाद मानती है

लालू प्रसाद अकेले नहीं हैं भाजपा और आरएसएस की राजनीति को ब्राह्मणवाद का आरोप लगाने में। भई कब तक पंडित जी की भावनाओं से तय किया जाता रहेगा कि क्या सही है और क्या गलत है ?  भक्त गण, जो की अधिकांशतः पंडितजी लोगों का ही जमावड़ा है, वह pervert लॉजिक को मानता है। यानि सब कुछ उल्टा-पुल्टा है। वह केजरीवाल के लोकल ट्रेन यात्रा को ड्रामा और जनता को असुविधा बोलता है, जबकि मोदी की यात्रा को एक नयी शुरुआत, vvip कल्चर का खात्मा , और एक नयी प्रेरणा बोलता है।     कोई स्थिर पैमाने नहीं है भक्तगणों के। यह व्यवहार सामाजिक न्याय के विरुद्ध है। इससे स्वतः सामाजिक न्याय की मांग रखने वाली लॉबी, यानि sc, st और obc वर्ग को ब्राह्मणवाद की याद आ जाती है जब इंसानों के एक वर्ग को तो खुद ब्रह्मा की संतान कह दिया गया, और दूसरे वर्ग को इंसानी जीवन से भी निम्म श्रेणी में कर दिया गया।    फिर इसके आगे भाजपा और आरएसएस आरक्षण नीति के विरोधी भी बन गए। साथ ही में वह लोग प्राचीन भारत की ऋषि मुनियों की अघोषित उप्लधियां, जैसे वायुयान का निर्माण, अंतरिक्ष यात्रा, चिकित्सा, गणित में कैल्कुलस, गुरुत्वाकर्षण, जैसे पर अपना अधिका

अरुंधति रॉय भी इसे ब्राह्मणवाद मानती है

भई कब तक पंडित जी की भावनाओं से तय किया जाता रहेगा कि क्या सही है और क्या गलत है ?  भक्त गण, जो की अधिकांशतः पंडितजी लोगों का ही जमावड़ा है, वह pervert लॉजिक को मानता है। यानि सब कुछ उल्टा-पुल्टा है। वह केजरीवाल के लोकल ट्रेन यात्रा को ड्रामा और जनता को असुविधा बोलता है, जबकि मोदी की यात्रा को एक नयी शुरुआत, vvip कल्चर का खात्मा , और एक नयी प्रेरणा बोलता है।     कोई स्थिर पैमाने नहीं है भक्तगणों के। यह व्यवहार सामाजिक न्याय के विरुद्ध है। इससे स्वतः सामाजिक न्याय की मांग रखने वाली लॉबी, यानि sc, st और obc वर्ग को ब्राह्मणवाद की याद आ जाती है जब इंसानों के एक वर्ग को तो खुद ब्रह्मा की संतान कह दिया गया, और दूसरे वर्ग को इंसानी जीवन से भी निम्म श्रेणी में कर दिया गया।    फिर इसके आगे भाजपा और आरएसएस आरक्षण नीति के विरोधी भी बन गए। साथ ही में वह लोग प्राचीन भारत की ऋषि मुनियों की अघोषित उप्लधियां, जैसे वायुयान का निर्माण, अंतरिक्ष यात्रा, चिकित्सा, गणित में कैल्कुलस, गुरुत्वाकर्षण, जैसे पर अपना अधिकार ज़माने लगे। कुल मिला कर के भाजपा और आरएसएस आधुनिकता और वास्तविक विज्ञानं के तो विरोधी बन

एक देश को राष्ट्र समझने के भ्रम से ग्रस्त है भाजपा और आरएसएस।

पशु जगत में बहोत सारे जीव अपना एक वर्चस्व क्षेत्र बनाते हैं और उसे सीमाबद्ध करते है अपने खारों के निशान बना कर या मूत्र गंधक छोड़ कर । इस क्षेत्र में खपत का प्रथम अधिकार उनका होता है। वहां की मादाएं और भोजन स्रोतों पर वह एकाधिकार रखते है। अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए वह आपस में जीवन नाशक युद्ध प्रतिस्पर्धा भी करते है।     सवाल यह है कि क्या आप इस व्यवहार को राष्ट्र निर्माण मानेंगे ?    क्या इस प्रकार का वर्चस्व क्षेत्र, यानी एक देश या फिर "इलाका", एक राष्ट्र माना जा सकता है? यदि नहीं तो फिर एक देश और एक राष्ट्र में क्या अंतर होता है ?     भाजपा और आरएसएस कुछ pervert लोगों का जमावड़ बन कर उभरा है। हिंसा और सैन्य जीवन शैली को उत्तम समझने वाली मानसिकता सुनने में बहोत शौर्यवान, गौरव शैली भले ही लगे मगर वास्तव में एक देश में से एक राष्ट्र के निर्माण का सबसे बड़ी बाधा यही मानसिकता है।    राष्ट्र एक मानवीय बौद्धिकता का उत्पाद है। भले ही कोई ऐसा डायलाग सुनने में अधिक प्रभावशाली लगे की "जब कोई सैनिक अस्सी हज़ार फिट की उचाईंयों पर अपनी हड्डियां गला कर जान देकर देश की रक्षा करता है

RSS and BJP are house of pervert people

RSS and BJP are house of pervert people.      It is not hypocrisy. It is something above that. It's perversity.    Dogs, lions, and many other mammals go around putting scratch marks or urine marks in an area to demarcate their territory. That does not mean that such a Territory is a Nation !!   The Nation state theory says that a Nation is a territory where  people have enough commonality between them (of language, culture beliefs), so to eliminate all possible fuels for  ignition. Then, the people live in peace and work for a common and mutual good, to bring about prosperity in their territory. That is how a nation is formed.    Most certainly, the animals don't do all of these intellectual reasoning to transform their territory into a Nation.    But surely, the need for protection of the territory from all other animal kinds who are barbaric and uncivilized is most fundamental to making a nation.     The perversity of BJP and RSS is that they have regularly in their h