Why should the owner of the vehicle be held liable too for the mistakes of his driver? An ethical-legal explanation

जब कोई परिवहन संसाधन में कोई अपराधिक घटना घटती है तब उसके मालिकों को भी उत्तरदायी क्यों बनाया जाता है?
   अपराधिक घटना में मूल अभियुक्त तो वही लोग होते हैं जिन्होंने उस घटना को अंजाम दिया होता है। अगर कोई ड्राईवर अपने मालिक की कार लेकर कहीं जाता है और कोई घटना कर आता है , तब उस घटना का अभियुक्त वह ड्राईवर ही होता है। यह सोच कर अजीब लगता है की मालिक को क्यों पुलिस पकड़े जब की मालिक तो उस स्थान पर था भी नहीं। मगर एक कारण है की मालिक को उत्तरदायीं क्यों माना जाता है। वह यह की मालिक अपने वाहन को पुलिस से छुड़ाने आएगा की नहीं?
   अगर मालिक छुड़ाने नहीं आता है तब वह संदिग्ध बनता है की क्या उसने अपना वाहन इस घटना को करने के लिए ही नियुक्त किया था ?
   अन्यथा उस मालिक की जिम्मेदारी है की वह वाहन का प्रयोग उसी को करने दे जो मालिक के जैसे ही वाहन की जिम्मेदारी का निर्वाह करे। यानि, न्यायिक दृष्टि से कार का ड्राईवर को ही सभी कृत्यों के लिए कार का मालिक माना जाता है। साथ ही, यदि वह ड्राईवर पूर्ण मालिक नहीं है, तब उस कार के पूर्ण मालिक को ड्राईवर के कृत्यों का सह-भागी माना जाता है।
    दूसरे शब्दों में, किसी भी वाहन (कार, समुंद्री जहाज़, बस, ट्रक, लारी, इत्यादि) के ड्राईवर और मालिक के बीच न्यायिक दृष्टि से "मालिकाना सह-भागिता" (Bailee relationship) का सम्बन्ध होता है।
      न्यायलय में आगे वाद के दौरान जब यह स्थापित हो जाता है की मालिक और ड्राईवर के बीच कितनी भिन्नता है, तब दोनों के बीच जितना सम्बन्ध होता उसी के अनुपात में उस घटना की जिम्मेदारी सुनिश्चित करी जाती है।
  यानी की मालिक पर उस घटना की आर्थिक जिम्मेदारी सुनिश्चित कर दी जाती है, जबकि ड्राईवर पर व्यक्ति कृत्य की जिम्मेदारी आती है।। ड्राईवर को उस घटना के लिए शारीरिक परिणाम भुगतने होते है, जबकि सारा आर्थिक दंड मालिक को निर्वाह करना होता है।

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