दोष प्रार्थी होने की पद्धति भारतीय न्यायलयों में क्यों नहीं है ??

कृष्णा भाई, मैं पूरा यकीन से तो नहीं बता सकता, मगर शायद दोष प्रार्थी (pleading guilty) का रिवाज़ शायद इसलिए भारतीय न्यायलयों में नहीं है क्योंकि कुछ तकनीकी अड़ंगे है । और लोगों ने यहाँ भी न्यायायिक सुधार की मांग रखी है।
    अगर कोई दोष प्रार्थी बन जाये तब यह सुनिश्चित करने के लिये भी कानून बनाना पड़ेगा की उसको क्षमा किस माप में प्रदान करनी होगी। 
    दोष प्रार्थी पद्धति के बहोत लाभ है। यह समाज में अंतःकरण को सुशक्त बनाएगा और लोगों को प्रेरित करेगा की अपना अपराध स्वीकार करें।  जांच एजेंसी को अपराध साबित करने की मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। कोर्ट का समय बचेगा। समाज में अपराधिक मनोभाव में अच्छा सुधार होगा।
    सबसे बड़ी बात है की पुलिस और न्यायलय में भ्रष्टाचार कम होगा की अगर किसी से अनजाने में कुछ अपराध हो गया है तब उसे पुलिस, गवाहों और जज को खाने खिलाने की जगह दूसरा विकल्प मिल जायेगा।
    बस कुछ  एक भय यह है की कही सुपारी किलिंग में अपराधियों को बच निकलने का आसान रास्ता न मिल जाये।
   बल्कि भ्रष्ट पुलिस और जजों की लाबी यही कु-तर्क दिए हुई है की अगर दोष प्रार्थी होने का रिवाज़ भारत में आ जाये तब सुपारी किलिंग बढ़ जाएँगी !!

Comments

Popular posts from this blog

The Orals

Why say "No" to the demand for a Uniform Civil Code in India

What is the difference between Caste and Community