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Showing posts from December, 2012

बलात्कार, स्वतंत्र-मन,व्यवसायिक अनुबंध और भारतीय समाज

सिद्धान्तिक दृष्टिकोण से बलात्कार मात्र एक अपराध नहीं, वरन, समाज में एक  स्वतंत्र-मन (free-will)  के दमन का प्रतीक होता है । विज्ञानं में स्वतंत्र-मन एक बहोत ही कोतुहलता का विषय रहा है । आरंभ में कर्म-कांडी धार्मिक  मान्यताओं ने हमे येही बतलाया था को "वही होता है जो किस्मत में लिखा होता है " । दर्शन और समाजशास्त्र  में इस प्रकार के विचार रखने वालो को 'भाग्यवादी' कह कर बुलाया जाता है । मगर एक कर्म-योगी धार्मिक मान्यता ने इस विचार के विपरीत यह एक विचार दिया की "किस्मत खुद्द आप के किये गए कर्मो का फल होती है "। दूसरे शब्दों में , यह भागवत  गीता जैसे ग्रन्थ  से मिला वही विचार है की "जो बोयेगा, वही पायेगा ", या फिर की "जैसे कर्म करेगा तू , वैसा फल देगा भगवान् "। दर्शन में इस विचार धरा को कर्म योगी कहा जाता है । सिद्धांत में यह दोनों विचार एक दूसरे के विपरीत होते है । या कहे तो मन में यह प्रश्न होता है की "क्या किस्मत या भाग्य कोई निश्चित वस्तु है , या फिर कोई खुद अपनी किस्मत या भाग्य को किसी तरह से नियंत्रित कर सकता है ?"।     सदिय

अकबर-बीरबल और भ्रष्टाचार

भ्रष्टाचार को पूर्णतः ख़तम कर सकना कभी भी आसान नहीं था/     एक बार बादशाह अकबर के दरबारियों ने उन्हें यह खबर दी की उनके दरबार में कहीं कोई मंत्री भ्रष्टाचारी हो गया है । अकबर ने बीरबल से इस बात की चर्चा करी / बीरबल ने अकबर से कहा की आलमपनाह अब भ्रष्टाचार का कोई इलाज नहीं होता / इस पर अकबर ने बीरबल के इस उत्तर को एक चुनौती मानते हुए बीरबल से कहा की वह भ्रष्टाचार को ख़तम कर के ही दिखायेंगे । अकबर ने अपने उस भ्रष्टाचारी दरबारी को एक दम वहायत नौकरी पर रख दिया जहाँ उसे भ्रष्टाचार करने का कोई मौका ही न मिले ।      उस दरबारी को यमुना नदी की लहरों को गिन कर लेखा-जोखा बनाने के काम पर लगा दिया /   कुछ दिन के बाद अकबर ने बीरबल से पुछा की अब उस दरबारी का भ्रष्टाचार करने का मौका ख़तम हुआ की नहीं । बीरबल मुस्कराए और जवाब दिया की 'नहीं' । इस पर अकबर को अचम्भा हुआ और उन्होंने बीरबल से पूछा की अब वह दरबारी कैसे भ्रष्टाचार कर लेता है । बीरबल ने अकबर को खुद ही यमुना के तट पर चल कर देखने को कहा ।     वह जा कर अकबर ने देखा की अब वह दरबार यमुना नदी पर चलने वाली नावों से रिश्वत वसूलने के काम में

"जनता जाग उठी है " से क्या अभिप्राय होता है ?

"जनता जाग उठी है " से क्या अभिप्राय होता है ? जनता की मदहोशी क्या है, किन कारणों से है, और क्यों यह बार-बार होती है कि मानो जनता की बेहोशी का कोई स्थाई इलाज नहीं है ?    जनता एक रोज़मर्रा के जीवन संघर्ष में तल्लीन व्यक्तियों का समूह है / यह दर्शन,ज्ञान-ध्यान , खोज, वाले तस्सली और फुरसत में किये जाने वाले कामो के लिए समय नहीं व्यर्थ कर सकने वाले लोगों का समूह है / समय व्यर्थ का मतलब है जीवन संघर्ष में उस दिन की दो वक़्त की रोटी का नुक्सान / मगर "समय व्यर्थ" का एक अन्य उचित मतलब यह भी है की विकास पूर्ण और मूल्यों की तलाश कर नयी संपदाओं और अवसरों की खोज का आभाव /      साधारणतः एक बहुमत में व्यक्ति समूह के पास यह समय नहीं होता की वह यह 'व्यर्थ' कर सके / मगर एक छोटे अल्पमत में वह समूह जो भोजन किसी अन्य आराम के संसाधन से प्राप्त करता है, जैसे की राजा -महाराजा लोग , वह यह फुरसत का समय ज़रूर रखते हैं की वह इस बहुमत वाले समूह के संचालन के नियम बना सके / भ्रष्टाचार तब होता है जब यह छोटा समूह बड़े समूह की मजबूरी का फयदा उठता है की बड़े समूह के पास समय नहीं होता नियम

'राजनैतिक स्थिरता' से क्या अभिप्राय होता है ?

'राजनैतिक स्थिरता' से क्या अभिप्राय होता है ? व्यावासिक अनुबंधन में 'राजनैतिक स्थिरता' क्यों आवश्यक है? सेंसेक्स और शेयर बाज़ार विकास के लिए राजनैतिक स्थिरता की मांग करता है ?      प्रजातान्त्रिक व्यवस्था में जहाँ हर एक सर्कार एक निश्चित कार्यकाल के लिए ही नियम और निति-निर्माण के बहुमत में रहती है, या नयों कहें की सत्तारुड रहती है , और एक कार्यावधि के बाद आम चुनाव अनिवार्य होता है , जैसे भारत में 5 वर्ष के उपरान्त , एक सरकार का किया अनुबंध यदि अगली सरकार न माने तब किसी भी निवेशक का पैसा उसको निवेष का लाभ देने के पूर्व ही निति-परिवर्तन हो जाने से आर्थिक हानि दे देगा / इसलिए निवेशक यह भय को निवेष से पूर्व ही नापेगा की कही निति परिवर्तन का आसार तो नहीं है , और तब ही निवेश करेगा / विदेशी निवेषक तो ख़ास तौर पर यह जोखिम नहीं लेगा /      प्रजातान्त्रिक व्यवस्था के निर्माण में इस कारको को आज से सदियों पूर्व ही समझ लिया गया था / इसी समस्या का समाधान बना था ब्यूरोक्रेसी, यानि लोक सेवा की नौकरी / भारत में लोक सेवा और अन्य सरकारी सेवा में आये, "चयनित ", व्यक्ति आजीवन (

वास्तविकता वक्रता क्षेत्र

{विकिपीडिया के लेख reality distortion field (RDF ) द्वारा प्रभावित } :  Reality Distortion Field यानी "वास्तविकता वक्रता क्षेत्र " कह कर बुलायी जाने वाली विवरणी की रचना सन 1981 में एप्पल कंप्यूटर इन्कोर्पोरैट में कार्यरत बड ट्रिबल ने करी थी / इस विवरणी के माध्यम से वह एप्पल कंप्यूटर के संयोजक स्टीव जोब्स के व्यक्तित्व को समझने के लिए किया था / ट्रिबल "वास्तविकता वक्रता क्षेत्र" के प्रयोग से जोब्स की स्वयं के ऊपर (अंध-)विश्वास करने की क़ाबलियत और अपनी कंपनी में कार्यरत लोगों को भ्रमित विश्वासी कैसे बना कर बहोत ही मुश्किल से मुश्किल काम कैसे करवा लिए , यह वर्णित करते हैं /     ट्रिबल का कहना था की यह विवरणी टीवी पर दिखाए जाने वाले एक विज्ञान परिकल्पना के धारावाहिक 'स्टार ट्रेक' से उन्होंने प्राप्त किया था /     "वास्तविकता वक्रता क्षेत्र " एक मनोवैज्ञानिक दशा है जो हर एक इंसान में उसके आसपास मौजूद मन-लुभावन वस्तुएं , व्यक्ति ; वाहवाही वाले कृत्य (bravado) ; अतिशोयक्ति (= hyperbole); विक्री-प्रचार ; शांति और रमणीयता के आभास देने वाले जीवन-शैली ; और