"जनता जाग उठी है " से क्या अभिप्राय होता है ?

"जनता जाग उठी है " से क्या अभिप्राय होता है ? जनता की मदहोशी क्या है, किन कारणों से है, और क्यों यह बार-बार होती है कि मानो जनता की बेहोशी का कोई स्थाई इलाज नहीं है ?
   जनता एक रोज़मर्रा के जीवन संघर्ष में तल्लीन व्यक्तियों का समूह है / यह दर्शन,ज्ञान-ध्यान , खोज, वाले तस्सली और फुरसत में किये जाने वाले कामो के लिए समय नहीं व्यर्थ कर सकने वाले लोगों का समूह है / समय व्यर्थ का मतलब है जीवन संघर्ष में उस दिन की दो वक़्त की रोटी का नुक्सान / मगर "समय व्यर्थ" का एक अन्य उचित मतलब यह भी है की विकास पूर्ण और मूल्यों की तलाश कर नयी संपदाओं और अवसरों की खोज का आभाव /
     साधारणतः एक बहुमत में व्यक्ति समूह के पास यह समय नहीं होता की वह यह 'व्यर्थ' कर सके / मगर एक छोटे अल्पमत में वह समूह जो भोजन किसी अन्य आराम के संसाधन से प्राप्त करता है, जैसे की राजा -महाराजा लोग , वह यह फुरसत का समय ज़रूर रखते हैं की वह इस बहुमत वाले समूह के संचालन के नियम बना सके / भ्रष्टाचार तब होता है जब यह छोटा समूह बड़े समूह की मजबूरी का फयदा उठता है की बड़े समूह के पास समय नहीं होता नियमो में सह-गलत की परख का , और छोटा समूह अपने लाभ के हिसाब से यह नियम बनता जाता है / बड़ा समूह अंत में गरीब हो जाता है, और छोटा समूह अमीर / जब गरीबी सर पर चढ़ती है तब बड़ा समूह छोटे समूह की अमीरी पर अपना गुस्सा दिखता है, जिसे की अक्सर क्रांति भी कहा जाता है, और फिर क्रांति के दौरान हुयी जन-जीवन हानि से भविष्य में बचने के लिए कुछ नए क्रांतिकारी बदलाव, या कहे तो, अपने नियम लिखता है /
     वह बड़ा समूह फिर से जीवन के संघर्ष में तल्लीन हो जाता है। यानि की , "जनता सो जाती है "।
    असल में किसी भी सभ्यता और देश में जनता लगातार नहीं "जगी" रह सकती है । जरूरत है की जनता जब भी कभी जागे, नियमो की रचना ऐसी होनी चाहिए की दुबारा वह घटना न घटे जिसने जनता के मन में इनता असंतोष दिया था की जनता को स्वयं क्रांति करनी पड़ गयी । साधारणतः प्रजातंत्र में क्रांति से बचाव में जनता के पास चुनाव में 'राईट तो रिकॉल ', निर्वाचित व्यक्ति को वापस बुलाने का अधिकार भी होता है । या फिर की अगर कोई भी उमीदवार पसंद का हो तोह सभी की त्यागने का एक विकल्प , जिससे के यदि यह विकल्प बहुमत में आये तब चुनाव को दुबारा करवाना पडे , पुराने सभी उम्मीदवारों को विस्थापित कर के /
   यही है "जनता जाग उठी है " का यह सभ्य प्रजातान्त्रिक अर्थ / मगर चुकी भारत में यह दोनों ही विकल्प उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए यहाँ "जनता जाग उठी ' से वाक्य का अर्थ होगा एक नया संवेधानिक संशोधन की सबसे पहले जनता को यह दोनों विकल्प दिलवाए जा सकें / इसके लिए किसी एक ख़ास चुनावी पार्टी को दो-तिहाई बहुमत देना होगा जो यह वचन दे और निभाए की वह यह दो चुनावी संशोधन कर के देगी /
     अन्यथा, एक नई क्रांति का अघाज़ करना होगा / और एक नया सविधान/ इन्ही दो तरीको में "जनता जाग उठी है " का स्थायी इलाज़ है की जनता आराम से सो सके और तब भी व्यवस्था में कोई कीड़ा , गड़बड़ इत्यादि न हो /

Comments

Popular posts from this blog

The Orals

Why say "No" to the demand for a Uniform Civil Code in India

About the psychological, cutural and the technological impacts of the music songs